लखनऊ। गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में भाजपा को आईना दिखाने वाले सपा और बसपा गठबंधन ने अब कैराना तथा नूरपुर में बखूबी अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। जिसके तहत हालांकि फिलहाल कैराना और नूरपुर उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और रालोद के बीच गठबंधन को लेकर समझौता हो गया है। सूत्रों की माने तो बीएसपी की मुहर लगने के बाद ही अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात हुई है।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव से मिलने जब जयंत चौधरी उनके घर पहुंचे तभी इस बात के कयास लगने शुरू हो गए थे कि इस उपचुनाव में दोनों के बीच कोई ना कोई समझौता होने जा रहा है, आरएलडी जयंत चौधरी के लिए कैराना सीट मांग रही थी, लेकिन समाजवादी पार्टी ने यह ऐलान कर दिया था कि वह ना सिर्फ कैराना बल्कि नूरपुर में भी अपना उम्मीदवार देगी।
इसके बाद ही इन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन लगभग टूट के कगार पर था। वहीं शुक्रवार को रालोद के उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने मुलाकात के बाद पार्टी के हित में फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक दोनों एक-एक सीट का बंटवारा कर लिया. आरएलडी ने कैराना संसदीय सीट पर अपना दावा छोड़ दिया तो इसके बदले में समाजवादी पार्टी ने नूरपुर विधानसभा सीट आरएलडी के लिए छोड़ दी. हालांकि दोनों ने अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, लेकिन सीटों की दावेदारी तय कर दी है.
वहीं इस समझौते से कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है क्योंकि कांग्रेस ने आरएलडी के उम्मीदवार को कैराना में समर्थन देने का ऐलान किया था अब आरएलडी ने कैराना खुद ही सपा के लिए छोड़ दिया है, ऐसे में कांग्रेस के लिए हालात शर्मिंदगी के हो गए हैं. अब कांग्रेस के लिए सपा को समर्थन देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा. अब देखना यह है कि कांग्रेस क्या फैसला करती है.
ज्ञात हो कि मायावती ने कैराना में चुनाव न लड़ने की बात पहले कह दी थी, साथ ही किसी को समर्थन नहीं करने की भी बात कही है। बावजूद इसके अंदरूनी सूत्रों की माने तो बीएसपी की मुहर लगने के बाद ही अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात हुई है और मायावती का परोक्ष समर्थन माना जा रहा है।