नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी आवास दिए जाने के प्रावधान पर आज सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका देते हुए उन्हें सरकारी आवास खाली करने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला राज्य सरकार द्वारा लाए गए उस कानून को रद्द करते हुए सुनाया है जिसमें इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को स्थायी रूप से सरकारी आवास आवंटित करने की बात कही गई थी। इस फैसले का सीधा असर मुलायम सिंह यादव, मायावती, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, रामनरेश यादव और एन डी तिवारी पर पड़ेगा।
दरअसल कोर्ट ने यूपी सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियम, 1997 को कानून गलत बताते हुए साथ ही इन सभी मुख्यमंत्रियों से किराया भी वसूलने के आदेश दिया था। लेकिन बाद में उत्तर प्रदेश ने इसके लिए कानून बना दिया। प्रदेश सरकार ने प्रावधान में संशोधन कर और नया कानून लाकर पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए ताउम्र सरकारी निवास देने का निर्णय लिया।
इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। दायर याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विफल करने की कोशिश की है। इस याचिका में संशोधन प्रावधान और नए कानून को लेकर चुनौती दी गई थी।
जिस पर अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंस एंड मिसलेनीयस प्रोविजन एक्ट 2016 का सेक्शन 4(3) असंवैधानिक है। ज्ञात हो कि इससे पहले 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ ने 1997 में जारी सरकारी आदेश को चुनौती दी थी। इस याचिका में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंस एंड अदर फैसिलिटीज एक्ट 1981 का हवाला दिया गया था।