लखनऊ। प्रदेश की सरकार चाहे जितने भी जतन कर ले लेकिन हाल-फिलहाल पुलिस की टालमटोलू कार्यशैली में कोई सुधार नही होता दिख रहा है जिसकी बानगी है कि कितने ही मामलों में इस शैली के चलते छोटी घटना भी अक्सर विकराल रूप धारण कर लेती है। ऐसा ही एक मामला प्रदेश के इलाहाबाद जनपद में सामने आया है जिसमें यहां की पुलिस ने अपने ही विभाग के कर्मी की तकरीबन 12 दिनों तक एफआईआर ही नही लिखी और उसका ऐसा खामियजा सामने आया कि उक्त पुलिसवाले के बेटे की लाश टुकड़ों में मिली जिस पर अनायास ही उसके ही मुह से निकला कि अब तो मेरा भी इस पुलिस से भरोसा उठ गया।
गौरतलब है कि प्रदेश के जनपद इलाहाबाद में एक सिपाही और उसका परिवार अपने 12 दिन से अगवा बेटे की एफ आई आर दर्ज कराने के लिए पुलिस की चौखट पर सर रगड़ते रहे, लेकिन पुलिस ने ना तो मामला दर्ज किया और ना ही कार्रवाई। जिसकी वजह से सिपाही का बेटा उन्हें मृत अवस्था में मिला है। जिसके बाद से मृतक के सिपाही पिता का कहना है कि आज के बाद से उसका पुलिस से भरोसा उठ गया है।
बेहद अहम और गंभीर बात है कि उक्त सिपाही और उसका परिवार अपने 12 दिन से अगवा बेटे की एफ आई आर दर्ज कराने के लिए पुलिस की चौखट पर सर रगड़ता रहा, लेकिन जब पुलिस ने उसकी एफ आई आर तक नहीं दर्ज की तो वह एसएसपी के कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ गया। तब जाकर पुलिस जब हरकत में आई भी तो उसका कोई मतलब ही नही रह गया था क्योंकि आज पीड़ित सिपाही के अगवा बेटे की लाश के कुछ टुकड़े पुलिस ने संगम किनारे रेत के अंदर से बरामद किए हैं।
वहीं मृतक के सिपाही पिता का कहना है कि वह बार बार आरोपियों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा लिखने के गुहार लगा रहे थे, लेकिन मुख्य आरोपी स्थानीय पुलिस स्टेशन में तैनात एक दरोगा का परिजन था। जिसके कारण उनके खिलाफ एफ आई आर नहीं दर्ज की गई। समय रहते अगर पुलिस कार्रवाई करती तो शायद उसका बेटा ज़िंदा बच जाता। उसका अब पुलिस से ऐतबार उठ चुका है।
बताया जा रहा है कि सिपाही के बेटे सर्वेश को उसके ही एक दोस्त और एक दरोगा के चचेरे भाई ने बड़ी रकम और बोलेरो गाड़ी के लालच में मौत के घाट उतार दिया है। हालांकि अब पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के सख्ती से पेश आने पर आरोपी युवकों ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है। लेकिन फिर वही बात सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या।