नई दिल्ली। एक कहावत है कि देर आए पर दुरूस्त आए लेकिन जानकारों की मानें तो जनाब बेहद सुस्त आए। मतलब मोदी सरकार द्वारा अब जो घोषणा गन्ना किसानों के लिए की है अगर वो ही पहले कर दी होती तो शायद कैराना और नूरपुर की तस्वीर ही अलग होती।
गौरतलब है कि बुधवार को दिल्ली में हुई केंद्रीय कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में गन्ना किसानों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने 8000 करोड़ के पैकेज को मंजूरी दे दी है। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कैबिनेट इस पैकेज को मंजूर कर चुकी है।
वहीं गन्ना किसानों के बढ़ते बकाए को देखते हुए सरकार ने चीनी मिलों के लिए 7,000 करोड़ रुपये के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दी है। चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 22,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया हो गया है। इस संकट से उबारने के लिए मिलें लगातार सरकार से मदद की गुहार लगा रही हैं।
जबकि पिछले महीने सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 1,500 करोड़ रुपए की उत्पादन आधारित सब्सिडी की घोषणा की थी। गन्ने के रिकॉर्ड उत्पादन और चीनी की कीमतों में गिरावट के चलते मिलें किसानों का भुगतान करने में असमर्थ हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में मिलों पर गन्ना किसानों का 12,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है। ऐसे में किसानों के बकाए का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरकार बेलआउट पैकेज पर विचार कर रही है।
इसके साथ ही खाद्य मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने का भी प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा मिलों से चीनी बिक्री के लिए न्यूनतम कीमत 30 रुपये प्रति किलो के आसपास तय करने और सभी मिलों के लिए कोटा निर्धारित करते हुए स्टॉक की सीमा तय करने का भी प्रस्ताव है।