नई दिल्ली। किसी भी देश का भविष्य उसकी भावी पीढ़ी के हाथों में होता है लेकिन अगर वहां की भावी पीढ़ी संवरने के बजाय बिखर गई तो तय है कि वो देश फिर बस रोता है और अपनी ही लाश को अपने कंधों पर ढोता है। ये सच्चाई कड़वी तो है लेकिन सौ फीसदी सही भी है। ऐसा ही कुछ देखते-देखते हमारे देश में होता जा रहा है क्योंकि मॉडल शॉप और पब कल्चर तो पहले ही भावी पीढ़ी के लिए कोढ़ का काम कर ही रहा था अब सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता दिये जाने का प्रस्ताव आना उसमें खाज का काम करेगा। यानि काफी हद तक नशे की आग़ोश में समा चुकी हमारी भावी पीढ़ी अब जुए में भी हाथ आजमाएगी और देश का बचा-खुचा भविष्य भी हार जाएगी।
गौरतलब है कि विधि आयोग ने क्रिकेट सहित अन्य खेलों में सट्टेबाजी को वैध बनाने की सिफारिश की है। साथ ही सट्टे पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर लगाने की अनुशंसा की है। आयोग ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई)आकर्षित करने के स्रोत के रूप में भी इसका इस्तेमाल करने की राय दी है।
जैसा कि विधि आयोग यानि लॉ कमिशन ने सुझाव रखा है कि भारत में जुए और सट्टेबाजी को कानूनी मानयता मिल जानी चाहिए। गुरुवार को आयोग ने सिफारिश की कि क्रिकेट सहित अन्य खेलों में गैमब्लिंग और सट्टेबाजी की इजाजत दी जाए। इसके साथ ही आयोग ने मैच फिक्सिंग और खेलों में होने वाले घोटाले को आपराध की श्रेणी में रखने की भी सिफारिश की।
हालांकि इस बाबत लॉ कमिशन ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को सौंपी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सट्टेबाजी और जुए जैसी गतिविधियों को पूरी तरह से खत्म या रोका नहीं जा सकता है, इसलिए इसे नियंत्रित रूप से चलाना एक बेहतर विकल्प है। इसके साथ ही आयोग का कहना है कि नियमित तरीके से इनका क्रियानवयन करके हम विदेशी निवेश को भी आकर्षित कर सकते हैं।
इतना ही नही आयोग ने इसके अलावा कहा कि कानूनी दायरे में इन गतिविधियों के चलने से इन पर अंडरवर्ल्ड द्वारा अवैध रूप से हो रहे संचालन को भी रोका जा सकेगा। आपको बता दें कि इस आयोग को 2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध बनाने के लिए कानून प्रणाली तैयार करने का काम सौंपा गया था। आयोग ने कहा कि हमने कोर्ट के निर्देश से आगे बढ़कर इसमें जुए को भी शामिल किया है क्योंकि दोनों लगभग एक तरह की ही गतिविधियां हैं।
गैंबलिंग एंड स्पोर्ट्स बेटिंग इनक्लूडिंग क्रिकेट इन इंडिया’ में सट्टेबाजी के नियमन के लिए और इससे कर राजस्व अर्जित करने के लिए कानून में कुछ संशोधनों की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है , संसद सट्टेबाजी के नियमन के लिए एक आदर्श कानून बना सकती है और राज्य इसे अपना सकते हैं या वैकल्पिक रूप में संसद संविधान के अनुच्छेद 249 या 252 के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए विधेयक बना सकती है।
यदि अनुच्छेद 252 के तहत विधेयक पारित किया जाता है, तो सहमति वाले राज्यों के अलावा अन्य राज्य इसे अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे। इसके अलावा आयोग ने सट्टेबाजी या जुए में शामिल किसी व्यक्ति का आधार या पैन कार्ड भी लिंक करने की और काले धन का इस्तेमाल रोकने के लिए नकदी रहित लेन-देन करने की भी सिफारिश की।
वहीं सामाजिक सरोकारों के जानकारों की मानें तो अगर ऐसा हुआ तो काफी हद तक तय जानिए कि देश में अपराधों का ग्राफ बढ़ेगाए क्योंकि जहां अभी जब सट्टेबाजी लीगल नही है तब भी लोग इसमें बढ़चढ़ कर भागीदारी करने से बाज नही आ रहे हैं और इसके चलते अक्सर अपनी न सिर्फ पूंजी गंवा रहे हैं बल्कि परिवारों के लिए मुसीबत भी पैदा कर रहे हैं जिसका सबूत खुद सलमान खान के भाई हैं जिन्होंने अपना सब कुछ महज इसके चलते ही गंवा दिया। पूर्व में लॉटरी के चलन के चलते आये घातक परिणाम भी इसकी बानगी हैं। बावजूद इसके अगर ऐसा होता है तो हालात बद से बद्तर हो जायेगें।