लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज किसानों के मुद्दे पर केन्द्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भाजपा की अर्थनीति किसान की पक्षधर नहीं, बल्कि कारपोरेट घरानों के हित साधती है।
उन्होंने आज जारी बयान में कहा कि भाजपा पहले ही डाक्टर स्वामीनाथन रिपोर्ट की संस्तुतियों से मुकर चुकी है। किसानों के उत्पादों के लिए घोषित ताजा न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसान को कुछ मिलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा की अर्थनीति किसान की पक्षधर नहीं, बल्कि कारपोरेट घरानों के हित साधती है। उन्होंने कहा चुनाव सिर पर आ गए हैं तो भाजपा किसानों का हितैषी होने का दिखावा करने लगी है।
इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के राज में किसान की सबसे ज्यादा दुर्दशा है। उसके साथ न्याय नहीं हो रहा है। उसकी जमीन कर्ज में फंसी है, कृषि मण्डियों में किसान लुट रहा है, सिंचाई का संकट है। विद्युत आपूर्ति बाधित है, किसान निराशा और कुण्ठा में आत्महत्या कर रहा है। भाजपा का अन्नदाता को ही धोखा देने में कोई गुरेज नहीं है।
इतना ही नही उन्होंने सवालिये लहजे में कहा कि अब-जब केन्द्र में भाजपा सरकार का अंतिम वर्ष है, किसानों को लाभ पहुंचाने का ख्याल उसे अब आया ऐसा ख़्याल उसे पहले क्यो नही तक क्यों नहीं आया था। अपने जन्मकाल से ही भाजपा का किसान और खेत से कोई वास्ता नहीं रहा है। खेतों का वह दूरदर्शन करती आई है।
अगर गंभीरता से देखें तो उत्तर प्रदेश में ही गन्ना किसानों का लगभग 12238 करोड़ रूपया चीनी मिलों पर बकाया है। कर्जमाफी का वादा वादा ही रहा है। खाद, ट्रैक्टर, कीटनाशक दवाइयों पर जीएसटी की मार पड़ रही है। केन्द्र की भाजपा सरकार मई 2017 में उच्चतम न्यायालय में मान चुकी है कि उसके कार्यकाल में लगभग 40 हजार किसानों ने आत्महत्या की है।
यादव ने कहा कि दो दिन पूर्व ही मध्य प्रदेश के सागर जिले के किसान ने आत्महत्या की थी। उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक दिन पूर्व किसान ने 48 हजार रूपए कर्ज के कारण आत्महत्या की है। बुंदेलखण्ड में सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके है। समाजवादी सरकार ने चौधरी चरण सिंह की नीतियों पर चलते हुए किसान और गांव को तरजीह दी थी।
जिसके तहत हमारी सरकार ने किसान की उपज को बिचौलियों और आढ़तियों की खरीद के कुचक्र से बाहर किया था। किसान की कर्जमाफी के साथ मुफ्त सिंचाई सुविधा दी थी। मंडियों को विकसित कर व्यापारियों को लूट से छूट दिलाई थी। किसान मंडी में अपमानित न हो इसकी व्यवस्था की गई थी। फसल बीमा का लाभ किसानों को मिला था। वर्ष 2016-17 को किसान वर्ष घोषित करते हुए बजट में 75 प्रतिशत की राशि गांव-किसान की भलाई के लिए रखी गई थी।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि वर्ष 2019 में अपने अंधकारमय भविष्य को देखते हुए भाजपा सीधे-सादे किसानों को बहकाने में लग गई है। भाजपा का सारा खेल चुनावी संभावनाओं पर आधारित है और इसके नेता समझते हैं कि वे फिर लोगों को अपनी‘ओपियम की पुडिय़ा’से बहकाने में सफल हो जाएंगे,लेकिन अब उनकी चाल में किसान फंसने वाला नहीं है। वे भाजपा का वास्तविक चेहरा पहचान गए है।