लखनऊ। उत्तर प्रदेश के तकरीबन दो दर्जन से अधिक भाजपा सांसदों पर खराब रिपोर्ट कार्ड के चलते गाज गिरना अब तय ही है तो वहीं अब वो सभी दूसरे दलों में जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं पर फिलहाल कहीं भी मामला बैठता नजर नही आ रहा है। वैसे इस वक्त बहुजन समाज पार्टी की चढ़ी हुई बारगाह को देखते उनमें से अधिकांश सांसद वहीं जोर आजमा रहे हैं। ये घर के भेदी कहीं भाजपा का करवा न दें कहीं काम-तमाम।
गौरतलब है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मिशन 2019 को लेकर बेहद ही गंभीर और सचेत हैं। जिसके चलते ही पूर्वांचल समेत यूपी के करीब 28 सांसदों का टिकट काटने का फैसला किया है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या पूर्वांचल के सांसदों की है। जिसमें कई बड़े नामचीन नेता भी शामिल हैं। हाईकमान के इस फैसले से खफा कई सांसद पार्टी छाेड़कर दूसरे दलाें में शामिल होने की कवायद में जुट गए हैं।
दरअसल जो बहुजन समाज पार्टी अर्श से फर्श पर आ चुकी थी वो ही हाल ही में प्रदेश के उपचुनावों के दौरान जबर्दस्त वापसी कर प्रदेश में काफी हद तक किंग मेकर की भूमिका में आ गई है। इसलिए भाजपा हाईकमान से खफा होने वाले अधिकांश सांसदों की पहली प्राथमिकता बसपा में ही जाने की है। जिसके चलते वो येन केन प्रकारेण वहां अपनी पैठ बनाने में लगे हुए हैं बाकी बसपा सुप्रीमो मायावती पर निर्भर होगा कि वो इस पर क्या निर्णय लेती हैं।
बीजेपी के कई वर्तमान सांसद तो अपना टिकट कटने के खौफ से अपने-अपने नये ठिकाने की तलाश जोर-शोर से शुरू कर दी है। अगर बसपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो उनके अनुसार कई भाजपा के सांसद हाल ही में दिल्ली प्रवास के दौरान बसपा सुप्रीमो के साथ बखूबी मुलाकात भी कर चुके हैं। जिनमें से कुछ तो वो सांसद हैं जो पूर्व में बसपा के वफादार रह चुके हैं माना जा रहा है कि उनके ही जरिये बाकी के भाजपा सांसद अपनी अर्जी लगाने में लगे हैं।
हालांकि इन खबरों का बसपा के एक खास नेता द्वारा खण्डन किया गया है। लेकिन सियासत की आदत है कि यहां अक्सर जो दिखता है वो होता नही है और जो होता है वो दिखता नही है। क्योंकि बसपा और सपा में अंदरूनी तौर पर ये तो तय हुआ है कि वो एक दूसरे के निकाले हुए नेताओं को अपने यहां जगह नही देगें लेकिन ये कहीं नही तय हुआ कि किसी और दल के नेताओ से भी परहेज करेंगे।