लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार यूं तो गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए हालांकि काफी संवेदनशील है लेकिन सरकार की नीति और रीति पर उसके बेलगाम और बेरहम अफसर बखूबी बट्टा लगा रहे हैं। जिसके चलते गत दिनों ऐसे अफसरों ने तो हद ही कर दी और एसिड अटैक पीड़िताओं का जीने का सहारा ‘शिरोज हैंगआउट कैफे’ उजाड़ दिया। कैफे के उजड़ने से समाज से हताहत पीड़िता अब सरकार की बेरूखी से परेशान हैं। दरअसल, समाज के एसिड अटैक की पीड़िताओं का ये जीविका का साधन हैं लेकिन आगरा में इनके एकमात्र कैफे को तोड़ने से ये परेशान हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक 11 जुलाई को फतेहाबाद रोड स्थित एकमात्र ठिकाने के आधे हिस्से पर सरकारी बुलडोजर से तोड़ दिया गया। इससे कैफे का काफी नुकसान हुआ है। बताया जा रहा है कि पीडब्ल्यूडी ने सड़क चौड़ा करने के लिए अतिक्रमण हटाया है। शिरोज कैफे का आधा हिस्सा सरकारी जमीन पर बना था। उसी हिस्से को तोड़ा गया है।
हालांकि कैफे टूटने के बाद एसिड अटैक की पीड़िता योगी सरकार से गुहार लगा रही हैं कि उनको जमीन या स्थान दी जाए। कैफे की मैनेजर रूपा बताती हैं कि हम कैफे की कमाई से एसिड अटैक पीड़िताओं का घर चलाया जाता है। साथ ही पीड़िताओं की सर्जरी का खर्च भी उठाते हैं। लेकिन सरकार हमारे सपनों, हौंसलों को बढ़ाने के बजाय तोड़ रही है।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस कैफे में चाय पी थी। अखिलेश यादव ने शिरोज कैफे के अलग ब्रांच के लिए स्थान देने की बात भी कही थी। साथ ही इस कैफे में हिंदी सिनेमा व राजनीति जगत के कई दिग्गज आ चुके हैं। वहीं देखना ये है कि प्रदेश की योगी सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और एसे संवेदनशील मामले में कितनी दरियादिली दिखाती है।