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योगी सरकार का अहम और बड़ा फैसला, शिक्षामित्रों के मुरझाये चेहरों को देगा खिला

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लखनऊ। तमाम जददोजहद और कवायदों के फलस्वरूप देर आए दुरूस्त आए। हुजूर काफी चुस्त आए। वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए प्रदेश की योगी सरकार ने अब एक ऐसे फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है जिससे पिछले काफी समय से तमाम दिक्कतें झेल रहे शिक्षामित्रों के मुरझाये हुए चेहरे काफी हद तक खिल उठेंगे। इतना ही सरकार के इस फैसले से उनको तमाम राहतें भी मिल सकेंगी।

गौरतलब है कि पूरे प्रदेश के लगभग 1.37 लाख शिक्षामित्र अब अपने मूल नियुक्ति वाले स्कूलों में काम कर सकेंगे । वहीं, महिला शिक्षामित्रों को उसी जिले में अपनी ससुराल या पति की तैनाती वाली जगह पर जाने का भी विकल्प दिया जाएगा।

दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल ने उत्तरj प्रदेश सरकार के इस फैसले की बुधवार को जानकारी देते हुए कहा है कि यदि शिक्षामित्र की तैनाती वाले स्कूल में अध्यापक ज्यादा हो रहे हैं तो कनिष्ठ अध्यापक का समायोजन दूसरे स्कूल में किया जाएगा लेकिन शिक्षामित्रों को वहां तैनाती जरूर दी जाएगी। तैनाती के लिए शिक्षा मित्रों से विकल्प लिया जाएगा। यदि शिक्षामित्र अपनी नई तैनाती वाले स्कूल में ही पढ़ाना चाहेगा तो उसे वापस नहीं भेजा जाएगा।

ज्ञात हो कि पिछले काफी लम्बे अरसे से समायोजन रद्द होने के बाद से शिक्षामित्र मूल तैनाती वाले स्कूलों में वापस जाने की मांग कर रहे थे लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो पा रहा था। सोमवार को हुई आश्वासन समिति की बैठक में कई विधायकों ने शिक्षामित्रों की इस मांग को दोहराया तो अपर मुख्य सचिव डा. प्रभात कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास इस संबंध में प्रस्ताव भेज दिया। इस पर मुख्यमंत्री ने सहमति दे दी है।

हालांकि समायोजन रद्द होने के बाद मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10 हजार कर दिया गया था लेकिन तैनाती के बारे में विचार नहीं किया गया। शिक्षामित्रों का तर्क है कि सहायक अध्यापक के रूप में उन्हें 35 हजार रुपये मिल रहे थे इसलिए नई जगह पर खर्च चल जा रहा था लेकिन संविदा पर 10 हजार रुपये मानदेय मिल रहा है। इतने कम पैसे में खर्चा नहीं चल रहा है लिहाजा उन्हें उनके मूल स्कूल में तैनाती दे दी जाए ताकि वे अपने घर में ही रह सके।

इतना ही नही इस फैसले से अब महिला शिक्षामित्रों को उसी जिले में अपनी ससुराल या पति की तैनाती वाली जगह पर जाने का विकल्प मिलेगा।  साथ ही शिक्षामित्रों से भी मूल स्कूल या फिर नई तैनाती वाले स्कूल में नियुक्ति का विकल्प लिया जाएगा।  वहीं यदि मूल तैनाती वाले स्कूल में होंगे ज्यादा अध्यापक तो भी शिक्षामित्रों को दी जाएगी तैनाती, अतिरिक्त अध्यापक को हटाया जाएगा।

वहीं इस बाबत आदर्श शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के तमाम पदाधिकारी और सदस्यों का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अपर मुख्य सचिव डॉ. प्रभात कुमार के सकारात्मक रवैये के कारण यह निर्णय हो पाया है। हम पिछले एक वर्ष से इसकी मांग कर रहे थे। हमें आशा है कि आगे भी  शिक्षामित्रों के पक्ष में निर्णय होंगे।

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