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गठबंधन पर फैसले का हक पा तो गए अखिलेश, साथ ही एक बार फिर सामने आ गई आपसी क्लेश

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लखनऊ।  समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आज हुई बैठक में हालांकि गठबंधन पर फैसला लेने का सर्वाधिकार भले ही पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को दे दिये गये हों लेकिन एक बार फिर कुनबे ही नही पार्टी में भी वो आपसी बंधन नजर नही आया जो कि मौजूदा हालात में बेहद ही जरूरी है। दरअसल ऐसे अहम मौके पर मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह समेत पार्टी का मुस्लिम चेहरा कहे जाने वाले नेता आजम खान की मौजूदगी का न होना चर्चाओं का केन्द्र बिंदु रहा।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों की संभावनाओं के बीच, समाजवादी पार्टी की शनिवार को लखनऊ में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक हुई। बैठक के बाद सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि दूसरे दलों से समझौते का अधिकार अखिलेश यादव को दिया गया है।

इतना ही नही रामगोपाल यादव ने कहा कि लोकसभा के आम चुनाव में ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग आयोग के सामने रखी जाएगी। अगर आयोग नहीं माना तो हम आंदोलन करेंगे। साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि अन्य राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में किसके साथ रहना है और किसके साथ नहीं, इसका निर्णय अखिलेश यादव करेंगे। अखिलेश यादव का निर्णय ही अंतिम माना जाएगा।

इस दौरान रामगोपाल यादव, मुलायम और शिवपाल के सवाल पर पल्ला झाड़ते नजर आए। उन्होंने कहा कि बैठक में शिवपाल यादव पर कोई चर्चा नहीं हुई। वहीं जबकि इस बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, उपाध्यक्ष किरनमय नंदा और राज्‍यसभा सांसद जया बच्चन सहित कई बड़े दिग्गज नेता मौजूद रहे।

खास बात ये रही कि इस महत्वपूर्ण बैठक में मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह और आजम खां नहीं पहुंचे। आजम खां के ना आने से राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं होनी शुरू हो गई हैं। मुलायम का ना पहुंचना भी चौंकाने वाला रहा। इन सबसे अहम शिवपाल की गैरमौजूदगी ने काफी हद तक ये साफ कर दिया कि कहीं न कहीं इस बार के चुनाव में भी सपा की कलह असर दिखाऐगी और भाजपा के बहुत काम आऐगी।

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