डेस्क। प्रदेश में बसपा से गठबंधन कर भाजपा से मुकाबला करने के दावे करने वाली समाजवादी पार्टी के हालात फिलहाल सुधरते नजर नही आ रहे हैं। क्योंकि जहां एक तरफ मुलायम कुनबे में आज भी मतभेद सामने आते जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हालत ये है कि समाजवादी नेता अपने कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए बार बालाओं के ठुमके लगवा रहे हैं।
गौरतलब है कि मुलायम परिवार में मतभेद और मनभेद का सिलसिला अब भी जारी है क्योंकि पहले जहां छोटे भाई शिवपाल पार्टी को छोड़ कर गए अब छोटभ् बहु अपर्णा के जाने की बारी है। उसके बाद कौन कौन जाएगा वो वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल तो मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा सपा अध्यक्ष अखिलेश नहीं शिवपाल यादव की पार्टी से चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं।
दरअसल बाराबंकी पहुंची अपर्णा यादव ने कहा कि पारिवारिक खींचतान के चलते 2017 का चुनाव प्रभावित हुआ था। वहीं चाचा शिवपाल के अलग पार्टी बनाने से इसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा क्योंकि उनका भी पार्टी को मजबूत करने में अहम योगदान रहा है। अपर्णा ने कहा कि अगर उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला तो अखिलेश या शिवपाल में से वह अपने चाचा को चुनेंगी। जो कि काफी बड़ी बात है।
वहीं भाजपा से मुकाबला करने के लिए ताल ठोक रहे समाजवादियों के हालात अब ये हो गये हैं कि समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भीड़ इकट्ठा करने के लिए बारबालाओं से जमकर ठुमके लगवाए। बार बालाओं के डांस ये वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है। दरअसल, जिले के कस्बा खिवाई में समाजवादी पार्टी ने एक कार्यक्रम किया था। जिसमें भीड़ इकट्ठा करने के लिए सपा के सिपहसालारों ने बार बालाओं का सहारा लिया।
बेहद गंभीर और हैरत की बात है कि समाजवादियों को अब प्रोग्राम में भीड़ को जोड़ने और उनको रोके रखने के लिए बार बालाओं का सहारा लेना पड़ रहा है। हद की बात ये है कि प्रोग्राम में सपा के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर भी थे। उनके साथ पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद और सपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह भी दिखाई दिए।
हालांकि अभी कुछ दिन पूर्व ही मेरठ के एक सम्मेलन में भारतीय जनता पार्टी ने भीड़ जुटाने के लिए एक बार फिर अश्लील डांस का सहारा लिया था। पब्लिक को जोड़ने के लिए जमकर बार बालाओं से ठुमके लगवाए गए और अश्लील डांस परोसा गया था। यह पूरा प्रोग्राम मेरठ की किठौर विधानसभा क्षेत्र के लालपुर में आयोजित हुआ था। वहीं तंज के लहजे में कुछ जानकारों का मानना है कि संभवतः भाजपा के उस कार्यक्रम को देख ही सपा नेताओं ने उनका मुकाबला उनकी ही तौर तरीकों से करने के तहत ऐसा किया है।