लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जनपद बुलंदशहर में कल जिस तरह से हिंसा के दौरान एक जांबाज इंस्पेक्टर शहीद हो गए उस पर अब उनके परिवारीजन बेहद ही कुपित और आक्रोशित हैं। अपने भाई इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राठौर को खोने से बेहद दुखी और आहत उनकी बहन मनीषा का गुस्सा फूट पड़ा। मनीषा ने रोते हुए कहा कि मैंने भाई खोया है। मुख्यमंत्री गऊ…गऊ.. कर रहे हैं। वो खुद रक्षा नहीं कर पा रहे तो हम लोग क्या करेंगे। शर्म आनी चाहिए उन्हें। जबकि वहीं अपने सिर से पिता का साया उठ जाने से दुखी उनके बेटों ने अपनी व्यथा कुछ इस तरह बयान की उनका कहना है कि जिस पिता ने उन्हें ऐसा इंसान बनने की सलाह दी जो धर्म के नाम पर न लड़े, उस पिता की हिंदू-मुस्लिम लड़ाई में ही मौत हो गई। इसी बीच इंस्पेक्टर सुबोध की पत्नी ने कहा है कि उनके पति ने पूरी ईमानदारी के साथ नौकरी की है। वह चाहते तो भाग लेते लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी उठाई और वहां से नहीं भागे।
गौरतलब है कि एटा जिले के रहने वाले पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राठौर की मौत से उनके पैतृक गांव तिरिगवां में गम और गुस्सा देखा जा रहा है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। योगी सरकार की बेरुखी से उनके अंदर गुस्सा भी है। आज इंस्पेक्टर सुबोध की बहन मनीषा ने कहा कि एक भी बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमारे परिवार से मिलने की कोशिश नहीं की है। उन्होंने कहा कि गऊ हमारी माता है। हम मानते हैं, लेकिन उस माता के लिए हमारे भाई (सुबोध कुमार) ने अपनी जान दी है। मेरे भाई ने वीरता का काम किया है, लेकिन अब मेरा परिवार क्या करेगा। इसका जवाब मुख्यमंत्री आकर दें। मनीषा ने मांग की है कि उनके भाई को शहीद घोषित किया जाए। गांव में उनके नाम से स्मारक बनवाया जाए। रोते हुए मनीषा ने कहा कि सुबोध कुमार कोई मामूली हस्ती नहीं था। इनसे पहले पिता ने जान गंवाई। 50 लाख के मुआवजे पर मनीषा ने कहा कि इतने रुपयों से क्या होता है। मेरे भाई को शहीद घोषित किया जाए ताकि दुनिया सलाम करे।
इसके साथ ही शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध के बेटे बेहद दुखी और गुस्से में हैं। उनका कहना है कि जिस पिता ने उन्हें ऐसा इंसान बनने की सलाह दी जो धर्म के नाम पर न लड़े, उस पिता की हिंदू-मुस्लिम लड़ाई में ही मौत हो गई। इसी बीच इंस्पेक्टर सुबोध की पत्नी ने कहा है कि उनके पति ने पूरी ईमानदारी के साथ नौकरी की है। वह चाहते तो भाग लेते लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी उठाई और वहां से नहीं भागे। यह कोई पहली घटना नहीं है जब उनके साथ कुछ ऐसा हुआ है। उनके ऊपर पहले भी दो बार हमले हो चुके हैं। वो दो बार गोली से घायल हो चुके हैं। लेकिन आज कोई भी उन्हें न्याय नहीं दे रहा है। उनको न्याय तभी मिलेगा जब उनकी हत्या करने वाले हत्यारे भी मारे जाएं। वहीं मंगलवार सुबह पुलिस लाइन में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को श्रद्धांजलि दी गई। इंस्पेक्टर के बेटे अभिषेक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक अच्छा नागरिक बनूं जो समाज में धर्म के नाम पर हिंसा नहीं फैलाता। आज मेरे पिता ने हिंदू-मुस्लिम के नाम पर अपनी जान गंवा दी अब कल किसके पिता अपनी जान गंवाएंगे?