मुंबई. दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रमोटर्स कपिल और धीरज वधावन को सीबीआई ने अपनी कस्टडी में ले लिया है. इन दोनों की गिरफ्तारी की कागजी कार्यवाही शुरू हो गई है. इन दोनों को मुंबई लाया जाएगा. सीबीआई के आग्रह पर सतारा पुलिस उन्हें जरूरी पुलिस एस्कॉर्ट मुहैया करा रही है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, वधावन बंधुओं के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट तामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
दरअसल, दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कपिल वधावन और गैर-कार्यकारी निदेशक धीरज वधावन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच चल रही है, जिसमें कपिल वधावन को ईडी ने गिरफ्तार भी किया था. लेकिन फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं. वहीं येस बैंक फर्जीवाड़े मामले में राणा कपूर के खिलाफ जांच चल रही है, इसमें भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दायरे में वधावन बंधु ईडी और सीबीआई के रडार पर हैं.
वधावन बंधुओं को कस्टडी में लेने से पहले सीबीआई दोनों को कोर्ट में पेश करेगी. वधावन बंधुओं के खिलाफ जारी गैर-जमानती वॉरंट पर 5 मई तक रोक थी लेकिन अभी हाल में इसे रद्द कर दिया गया. सीबीआई की टीम दोनों भाइयों को लेने के लिए उनके महाबलाश्वेर स्थित घर पहुंची है. यहां से लेने के बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि वधावन बंधुओं को यह जानकारी नहीं थी कि उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वॉरंट रद्द हो गया है.
बताया जा रहा है कि वधावन बंधु 8 मार्च से ही सीबीआई और ईडी से छिप रहे थे. येस बैंक मामले में पूछताछ के लिए दोनों एजेंसियां इनकी तलाश कर रही थीं. वधावन बंधु खंडाला के एक गेस्ट हाउस में छिपे थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इनको गेस्ट हाउस छोड़कर महाबलेश्वर जाना पड़ा था. इनको यह डर था कि अगर मुंबई गए तो गिरफ्तार हो जाएंगे, इसलिए ये महाबलेश्वर की तरफ निकल गए थे.
दरअसल, ईडी ने 8 मार्च को येस बैंक के फाउंडर राणा कपूर को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए वधावन बंधु खंडाला निकल गए थे और एक गेस्ट हाउस में छिप गए थे.
बता दें, डीएचएफएल एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है और कपिल वधावन इसके चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक हैं. यह कंपनी अब डूबने के कगार पर है और इसको बेचने की प्रक्रिया चल रही है. इस कंपनी पर बैंकों का करीब 40,000 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है. कंपनी के पास पैसे नहीं हैं कि वो चुका सके. पैसे के घपले को लेकर ईडी ने 19 अक्टूबर 2019 को इस मामले की जांच शुरू की.