नई दिल्ली. कोरोना महामारी रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से वाहन उद्योग को भारी नुकसान होने का अनुमान है. वाहन उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन के चलते देशभर में फैक्ट्रियों को बंद रखने से करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हो सकता है. कोरोना का प्रसार रोकने के लिए 25 मार्च से 17 मई तक लॉकडाउन लागू है. इस दौरान 53 दिनों तक फैक्ट्रियां बंद हैं. हालांकि, वाहन कंपनियों को उम्मीद है लॉकडाउन हटने के बाद एक बार फिर से फैक्ट्री में उत्पादन में तेजी आएगी. इसके बावजूद इस पूरे साल में घाटे की भरपाई करना मुश्किल होगा.
लॉकडाउन से सिर्फ वाहन उद्योग को ही नुकसान नहीं हुआ है बल्कि सरकार को भी राजस्व के मोर्चे पर बड़ा नुकसान उठाना होगा. देशभर में वाहनों का उत्पादन बंद होने से सरकार को करीब 28 हजार करोड़ रुपये का जीएसटी नुकसान होने का अनुमान है. इसके अलावा विभिन्न दूसरे मद में करीब 14 हजार करोड़ का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है. गाड़ियों के पार्ट्स लेकर नई गाड़ियों की बिक्री से सरकार को जीएसटी मद में बड़ी कमाई होती है.
लॉकडाउन के कारण भारी नुकसान उठा चुकी वाहन कंपनियां पूरे दमखम से वापसी की तैयारी कर रही है. टोयोटा किर्लोस्कर ने बताया कि लॉकडाउन के बाद गाड़ियों की बिक्री बढ़ाने के लिए डीलरों के साथ बातचीत कर रहा है. लॉक डाउन के चलते डीलरशिप बंद होने से कुछ कंपनियां ऑनलाइन बुकिंग के भी विकल्प लेकर आई है. होंडा कार्स इंडिया ने ‘होंडा फ्रॉम होम‘ नामके ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफॉर्म को के जरिए ग्राहको को नया विकल्प देने की कोशिश की है.
जर्मनी की लक्जरी वाहन कंपनी ऑडी ने कोरोना से निपटने के प्रयासों में आगे रहकर काम करने वाले ग्राहकों को नि:शुल्क वाहन जांच और उनके वाहनों को कीटाणुमुक्त करने की सुविधा उन्हें सम्मान स्वरूप उपलब्ध कराने की घोषणा की है. ऑडी इंडिया ने कहा कि कोविड-19 से लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहे उसके ग्राहकों को वाहन को कीटाणुमुक्त करने, वाहन की सफाई के अलावा उनकी कार को लाने और पहुंचाने की सुविधा उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए दी जाएगी.
कंपनी ने बताया कि इस महीने सिर्फ 632 कारें ही निर्यात की जा सकीं हैं. सरकार के दिशा निर्देशों के दायरे में रहकर कंपनी अब अपने प्लांट में काम धीरे धीरे शुरू कर रही है. महिंद्रा एंड महिंद्रा की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इस महीने कुल बिक्री में 98 फीसदी की गिरावट देखी गई है. घरेलू बाजार में एक भी गाड़ी न बेच पाने वाली महिंद्रा एंड महिंद्रा ने भी सिर्फ 733 गाड़ियों का एक्सपोर्ट किया है.