लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बाढ़ की विभीषिका दिनों-दिन बढ़ती चली जा रही है. पिछले 24 घंटे में तो तराई और पूर्वांचल के जिलों में हाहाकार और बढ़ गया है. सभी नदियां खतरे के निशान से उपर तो चल ही रही हैं, जलभराव से स्थिति बदतर होती चली जा रही है. प्रदेश के कुल 15 जिलों में बाढ़ की तबाही जारी है. 800 से ज्यादा गांवों के पौने 4 लाख लोग इससे सीधे प्रभावित हुए हैं. 358 गांव तो ऐसे हैं, जहां पानी भरा हुआ है. 13 बाढ़ शरणालयों में हजार से ज्यादा लोग शरण लिए हुए हैं.
पिछले 24 घंटे में बाढ़ का प्रकोप और बढ़ गया है. हालात कितने खराब हो गए हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि धीरे-धीरे बाढ़ प्रभावित जिलों की संख्या बढ़ती चली जा रही है. रविवार को 12 जिले प्रभावित थे लेकिन, सोमवार को इनकी संख्या 15 पहुंच गई है. ये जिले हैं – अम्बेडकरनगर, अयोध्या, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, मऊ, बहराइच और आजमगढ़.
इन जिलों से होकर बहने वाली सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर चल रही हैं. खीरी में शारदा, गोरखपुर और श्रावस्ती में राप्ती, बाराबंकी, अयोध्या और बलिया में घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. गोण्डा, आजमगढ़ और बलरामपुर में नदी के तटबंध भी कटने शुरू हो गये थे लेकिन सिंचाई विभाग को रोकने में सफलता मिल गई.
बाढ़ के मामलों को देख रहे इंजीनियर इन चीफ (डिजाइन एण्ड प्लानिंग) अशोक सिंह ने बताया कि घाघरा में इस समय 3 लाख 15 हजार क्यूसेक पानी चल रहा है. इसमें एक लाख क्यूसेक पानी की कमी आई है. गण्डक में एक लाख 69 हजार क्यूसेक डिस्चार्ज चल रहा है जो पहले से कम हुआ है. नदियों के जलस्तर में कमी तो आ रही है लेकिन, इसका घटना-बढ़ना बारिश पर निर्भर करेगा. जहां-जहां नदियों के तटबंध टूटे या इसका खतरा पैदा हुआ, वहां वहां हालात संभाल लिए गए हैं. फिलहाल किसी भी नदी का तटबंध टूटा नहीं है.