लखनऊ। तकरीबन एक पखवाड़े से अधिक समय से बांट जोह रहे उत्तर प्रदेश और उसकी पुलिस को आज उस वक्त राहत मिली जब आईपीएस ओ.पी. सिेह ने डीजीपी का कार्यभार सम्हाल लिया। हालांकि फिलवक्त प्रदेश मे जिस तरह से कानून व्यवस्था का हाल है उसके लिहाज से उनके लिए सबसे अहम होगा उसे पटरी पर लाना और प्रदेश की जनता को सुरक्षित वातावरण दिलाना। जो कि उनके लिए किसी भी लिहाज से मुश्किल नही है क्योंकि पूर्व का जो उनका अनुभव और काबिलीयत रही है उसको देखते उम्मीद की जा सकती है कि वह जनता और सरकार दोनों की ही अपेक्षाओं पर खरे उतरने में कामयाब रहेंगे।
गौरतलब है कि प्रदेश में डीजीपी का पद पिछले 22 दिन से खाली था जिसका कार्यभार आज आईपीएस अधिकारी ओम प्रकाश सिंह ने सम्हाल लिया। उन्होंने 31 दिसंबर को ही सेवानिवृत्त हो चुके सुलखान सिंह का स्थान लिया है। साफ-सुथरी छवि वाले 1983 बैच के आईपीएस अफसर ओम प्रकाश सिंह इससे पहले केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक थे। केन्द्र से उन्हें कार्यमुक्त करने में काफी समय लगाया जिसके कारण वह पदभार ग्रहण नहीं कर सके थे।
बताया जाता है सिंह सेंट जेवियर्स कॉलेज, नेशनल डिफेंस कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर चुके सिंह आपदा प्रबन्धन में एमबीए के साथ-साथ एम.फिल डिग्रीधारी हैं। वह पूर्व में उत्तर प्रदेश तथा केन्द्र सरकार में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। वर्ष 1992-93 में लखीमपुर खीरी जिले के पुलिस अधीक्षक पद पर रहते हुए उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों पर सख्ती से लगाम कसी थी।
इसके साथ ही लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पद पर काम करते हुए उन्होंने धार्मिक जुलूसों को लेकर अर्से पुराने शिया-सुन्नी विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी। आपदा राहत बल के महानिदेशक के तौर पर सिंह ने जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़, नेपाल में आए विनाशकारी भूकम्प, हुदहुद तूफान तथा चेन्नई के शहरी इलाकों में आई बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिए सराहनीय कार्य किए थे। सिंह को उत्कृष्ट सेवा के लिए वीरता पुरस्कार समेत कई तमगे भी मिल चुके हैं।
लेकिन इस सबसे परे उनकी तमाम काबिलियत और अनुभव को मौजूदा प्रदेश के हालातों में देखना होगा कि उसमें वह कितना कारगर साबित होते हैं। क्योंकि जिस तरह से प्रदेश में इस वक्त अपराध चरम पर पहुचते जा रहे हैं उनसे पार पाना हालांकि नामुमकिन तो कतई नही है लेकिन काफी मुश्किल होगा यह तो तय है।