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शहीद नरेन्द्र को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई, परिवार समेत सभी ने सरकार से अहम मांग उठाई

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नई दिल्ली। नापाक पाक की कायर बैट टीम की बर्बरता का शिकार हुए शहीद बीएसएफ जवान नरेन्द्र सिंह का शव जब अपने पैतृक गांव पहुचा तो जहां सारा गांव गमगीन नजर आया वहीं हर किसी के जहन में उभरता सवाल भी नजर आया कि आखिर ये सिलसिला कब तक ऐसे ही चलेगा, क्या कभी ये थमेगा? इतना ही नही इस मौके पर शहीद के बेटे ने बेहद ही भावुकता के साथ जो सवाल उठाया है। उस पर हुक्मरान और तमाम अफसरानों को बखूबी गौर करना होगा।

गौरतलब है कि जम्मू के सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में मंगलवार को शहीद हुए और पाकिस्तान की बर्बरता का शिकार हुए बीएसएफ के जवान नरेंद्र सिंह का शव उनके पैतृक आवास पहुंचने पर उनको अंतिम विदाई दी गई। शव देखकर जहां पत्नी बेसुध हो गई, वहीं बेटों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। शहीद नरेंद्र को उनके बड़े बेटे मोहित ने मुखाग्नि दी। उनका कहना है कि भारत सरकार को पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए, ताकि ऐसा दिन और किसी को न देखना पड़े। पाकिस्तान से इस बर्बरता का बदला लिया जाना चाहिए।

इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग जुटे। भारत माता के जयकारों के बीच राजकीय सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई। शहीद नरेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह 7 बजे दिल्ली से सीधे उनके गांव थाना कलां लाया गया। यहां उनके गांव से पहले ही कई किलोमीटर दूर बड़ी संख्या में बाइक सवार मौजूद थे।

बताया जाता है कि जैसे ही शहीद का शव पहुंचा तो बाइकों का बड़ा काफिला उनके आगे-आगे चला। इस दौरान भारत माता की जय और शहीद नरेंद्र अमर रहे के जयकारे लगाए गए। पार्थिव शरीर पहुंचते ही गांव में गमगीन माहौल हो गया। घर में चीख पुकार मच गई। शहीद की पत्नी संतोष, बेटे मोहित और अंकित के आंसू रोके नहीं रूक रहे थे।

इस मौके पर शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण बेदी भी पहुंचे। जिला उपायुक्त विनय सिंह ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शहीद के बेटों और गांववालों ने रोष जताया और मांग की कि पाकिस्तान की इस हरकत का भारत मुंहतोड़ जवाब दिया जाए और उसे इसी भाषा में सबक सिखाए।

जबकि इस मौके पर बीएसएफ जवान नरेंद्र सिंह ने अपने पिता के शहीद होने पर बहुत ही मार्मिक बयान दिया है। उसने कहा कि आज हम सब गर्व महसूस कर रहे हैं मगर दो दिन बाद क्या होगा? दो-तीन दिनों के बाद कोई मदद नहीं मिलेगी। मेरा भाई और मैं अभी बेरोजगार हैं। मेरे घर के लिए रोटी कपड़े का इंतजाम करने वाले मेरे पिता देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए हैं।

इतना ही नही बल्कि शहीद जवान के बेटे ने कहा कि मैं अधिकारियों से मदद मांगता हूं। हमें हमारी जरुरत की चीजें मुहैया कर दें। उसने कहा कि मौत के वक्त हर किसी को तिरंगा नसीब नहीं होता है। मगर इन सबके बीच यह भी ध्यान देने वाली बात है कि आज कोई और कल कोई और शहीद होगा। हम आज गर्व करेंगे कल फिर गर्व करेंगे। इसलिए यह रुकना चाहिए। अधिकारियों को इस पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए।

ज्ञात हो कि बीएसएफ जवान नरेंद्र सिंह (51) का शव बेहद खराब हालत में मिला था। गला रेता गया था। आंख निकाल रखी थी। पीठ पर करंट लगाने से झुलसने के निशान थे। शहीद के शरीर पर तीन गोलियां लगी थी। एक गोली शुरुआती हमले में लगी थी, लेकिन बाकी दो गोलियां यातनाएं देने के बाद मारी गईं।

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