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मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में फैसला सुनाने वाले जज एक बार फिर चर्चा में आये

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नई दिल्ली। बहुचर्चित मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में फैसला देने वाले चर्चित जज रविंदर रेड्डी एक बार फिर चर्चा में आ गये हैं दरअसल उन्होंने अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई है। साथ ही भाजपा के कसीदे पढ़ते हुए उसे देशभक्त पार्टी भी करार दिया है।

गौरतलब है कि मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व जज रविंदर रेड्डी ने 14 सितंबर को हैदराबाद के दौरे पर आए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर उनसे भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई थी।

वहीं इस बाबत तेलंगाना के भाजपा अध्यक्ष डॉ. के. लक्ष्मण ने बताया कि वह पार्टी में एक बुद्धिजावी के तौर पर अपना योगदान दे सकते हैं या चुनावी राजनीति में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि रेड्डी को पार्टी में शामिल किया जाएगा या नहीं और अगर शामिल किया जाता है तो उन्हें कौन सी जिम्मेदारी दी जाती है।

वहीं पूर्व जज रविंदर रेड्डी ने भाजपा को देशभक्त पार्टी बताया है। एक भाजपा नेता ने बताया कि जब वह अमित शाह से मिले, तो उन्होंने भाजपा जैसी राष्ट्रवादी और देशभक्ति पार्टी के लिए काम करने की अपनी इच्छा व्यक्त की।

रेड्डी ने कहा कि मैंने पार्टी में इसलिए शामिल होने की इच्छा जताई है, क्योंकि मेरा मानना है कि यह देशहित में सोचने वाली पार्टी है। राष्ट्रीय स्तर की यह एक मात्र देशभक्त पार्टी है और इस पार्टी में परिवार का शासन नहीं चलता है।

ज्ञात हो कि इसी साल 16 अप्रैल को मक्का मस्जिद विस्फोट मामले की हुई सुनवाई में विशेष आतंकवाद निरोधक अदालत के तत्कालीन न्यायाधीश रविंदर रेड्डी ने हिंदुत्व प्रचारक स्वामी असीमानंद समेत पांच आरोपियों को बरी कर दिया था। इसके तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा भी दे दिया था।

उन्होंने मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया था कि वह व्यक्तिगत आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं। अपने फैसले में रेड्डी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि असीमानंद और अन्य आरोपी 18 मई, 2007 को मक्का मस्जिद में हुए बम विस्फोट की योजना बनाने और उसे निष्पादित करने में शामिल थे।

पूर्व जज ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि सिर्फ संघ (आरएसएस) से जुड़ने का मतलब सांप्रदायिक बनना नहीं होता है। उन्होंने आगे कहा था कि आरएसएस कोई गैरकानूनी रूप से काम करनेवाला संगठन नहीं है। यदि कोई शख्स इसमें काम करता है तो इससे यह साबित नहीं होता कि वह सांप्रदायिक या फिर समाज विरोधी है।

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