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कोर्ट के फैसले पर संतों की प्रतिक्रिया आई, अब तो बेवजह की जिद छोड़ दें भाई

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नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा आज अयोध्या  मामले में एक अहम याचिका के खारिज किये जाने पर देश के तमाम संतों समेत विश्व हिन्दू परिषद ने अपनी जोरदार प्रतिक्रिया दी है। जिसके तहत उन सभी ने कहा है कि अब अब मस्जिद समर्थकों को बेवजह की जिद छोड़ देना चाहिए।

गौरतलब है कि आज दि एक्यूजिशन एक्ट आफ सरटेन एरिया आफ अयोध्या को चुनौती देने वाली इस्माईल फारुखी बनाम यूनियन आफ इंडिया से सम्बन्धित याचिका में वर्ष 1994 में दिए गए फैसले को सात जजों की बेंच को भेजने की मुस्लिम पक्ष की मांग को सुप्रीम कोर्ट की ओर से गुरुवार को खारिज करने कर दिया गया है।

जिस पर तमाम संतों समेत विहिप ने कहा कि इस फैसले से मंदिर निर्माण को बल मिलेगा। अब मस्जिद समर्थकों को बेवजह की जिद छोड़ देना चाहिए। मंदिर निर्माण और न्यायालय से आये फैसले के प्रत्येक पहलुओं पर अब पांच अक्टूबर को दिल्ली में संत उच्चाधिकार समिति की बैठक में चर्चा होगी।

वहीं आज के इस फैसले के बाद श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने कहा कि मंदिर निर्माण होकर रहेगा, यह उम्मीद धीरे-धीरे मजबूत होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय मंदिर निर्माण में बाधक बने लोगों को अक्श दिखाने वाला है। ऐसे लोगों को अब स्वत: इस विवाद से हटकर मंदिर निर्माण में सहयोगी बन जाना चाहिए।

जबकि श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य महंत सुरेश दास ने कहा कि नमाज इस्लाम का हिस्सा है पर मस्जिद का नहीं परन्तु देवी-देवताओं की मूर्ति मंदिर का अटूट हिस्सा है जिसे अब मुस्लिमों को स्वीकार कर लेना चाहिए । सनकादिक आश्रम पीठाधीश्वर व संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा कि यह फैसला लकीर पीटने वालों के लिए विचारणीय है।

इसी प्रकार मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास महाराज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय मंदिर निर्माण के मार्ग को बल प्रदान करेगा। हिन्दुओं की आस्था को खंडित करने का प्रयास जो लगातार चलता आ रहा उस पर कहीं न कहीं यह निर्णय प्रभाव डाल कर उसे कुंद करेगा।

इसके अलावा विहिप के तमाम पदाधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय भविष्य को बल प्रदान करने वाला सिद्ध होगा। इस फैसले से मंदिर निर्माण को बल मिलेगा तथा मस्जिद समर्थकों को बेवजह की जिद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण और न्यायालय से आये इस फैसले के प्रत्येक पहलुओं पर अब पांच अक्टूबर को दिल्ली में संत उच्चाधिकार समिति की बैठक में मंथन कर व्यापक रणनीति बनायी जायेगी।

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