नई दिल्ली। तमाम सुगबुगाहटों के बीच आखिरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि जो महिलाएं आयु पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आईं थीं। वे अयप्पा भक्त नहीं है। ये लाखों अयप्पा भक्तों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है।
गौरतलब है कि इस याचिका के अनुसार, कोई भी कानूनी विद्वान यहां तक कि सबसे बड़ा न्यायवादी या न्यायाधीश भी जनता के सामान्य ज्ञान जैसा नहीं हो सकता। इस देश में उच्चतम न्यायिक न्यायाधिकरण की कोई न्यायिक घोषणा नहीं है। इस पूरे मामले में दिलचस्प बात यह है कि केवल याचिकाकर्ता और पक्षकार ही पुनर्विचार याचिका दायर करते हैं। जबकि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले महीने दिए फैसले में पक्षकार नहीं हैं।
ज्ञात हो कि पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को हरी झंडी दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटा दी थी। कोर्ट ने इस प्रथा को असंवैधानिक करार दिया था, जिसके बात अब सबरीमाला मंदिर के दरवाजे सभी महिलाओं के लिए खोल दिये गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले मंदिर में 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं थी।