नई दिल्ली। हालीवुड के बाद भारत में # मीटू कैंपेन के चलते मचे बवाल के बीच सरकार द्वारा इसके लिए एक अलग जांच कमेटी बनाए जाने को लेकर जारी कवायद अब फलीभूत हो गई है। दरअसल कार्यस्थल पर यौन उत्तपीड़न की शिकायतों की जांच के लिए सरकार ने आज बुधवार को सख्त कदम उठाया है। यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे लोग अब मंत्रियों के समूह की जांच से होकर गुजरेंगे। इसके सरकार ने जीओएम (मंत्रियों का समूह) का गठन किया है।
गौरतलब है कि सरकार ने जीओएम का अध्यक्ष केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को नियुक्त किया है। इसके साथ ही जीओएम में नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमन और मेनका गांधी को सदस्य बनाया गया है। यह समूह कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए बने कानून की समीक्षा यौन उत्पीड़न के मामलों की समीक्षा कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा।
ज्ञात हो कि मीटू अभियान के तहत विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्तपीड़न के आरोप लगने के बाद इस अभियान का रुख ही बदल गया। हर तरफ से दबाव बढ़ता देश सरकार को इसमें दखन देना पड़ा। बताते चलें कि यौन उत्पीड़न के कई आरोप लगने के बाद एमजे अकबर ने बीते बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
इतना ही नही बल्कि एमजे अकबर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत बताया है। खुदपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस भी दर्ज कराया है। याद दिला दें कि कई महिला पत्रकारों ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
वहीं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन शोषण से निपटने संबंधी कानूनी और संस्थागत ढांचा मजबूत बनाने के लिए ‘मंत्री समूह्’ गठन करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
गांधी ने मंत्री समूह गठित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि यह समूह कार्यस्थलों पर महिला का यौन उत्पीड़न रोकने के लिये मौजूदा प्रक्रिया को मजबूत करने उपाय सुझाएगा। इससे महिलाओं को कार्यस्थलों पर सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।