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हर भारतीय अब गर्व कर पाएगा कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा भारत की धरती पर है: पीएम मोदी

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक सरदार वल्लभभाई पटेल की जयन्ती पर आयोजित ‘एकता के लिए दौड़’ में देशवासियों से बड़ी संख्या में शामिल होने का आह्वान किया और कहा कि 31 अक्टूबर को उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा और यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति होगी जो विश्व में देश का मान बढ़ायेगी।

गौरतलब है कि मोदी ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 49वें संस्करण में कहा कि इस साल भी सरदार पटेल की जयंती पर 31 अक्टूबर को ‘एकता के लिए दौड’ कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। देश की एकता और अखंडता के प्रतीक सरदार पटेल की जयंती पर आयेजित इस दौड़ में देशवासियों को बड़ी संख्या में हिस्सा लेकर राष्ट्रीय एकता के प्रतीक सरदार पटेल को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस बार सरदार पटेल की जयन्ती विशेष होगी क्योंकि उस दिन गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर स्थापित उनकी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। यह प्रतिमा अमेरिका के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से दो गुनी ऊंची है। उन्होंने कहा, यह विश्व की सबसे ऊंची गगनचुम्बी प्रतिमा है। हर भारतीय इस बात पर अब गर्व कर पाएगा कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा भारत की धरती पर है।

उन्होंने कहा कि यह उन सरदार पटेल की मूर्ति है जो जमीन से जुड़े थे और अब आसमान की भी शोभा बढ़ाएंगे। मुझे आशा है कि देश का हर नागरिक मां-भारती की इस महान उपलब्धि को लेकर विश्व के सामने गर्व के साथ सीना तानकर, सर ऊंचा करके इसका गौरवगान करेगा। मुझे विश्वास है हिन्दुस्तान के हर कोने से लोग, अब इसे भी अपने एक बहुत ही प्रिय गंतव्य स्थल के रूप में पसंद करेंगे।

मोदी ने कहा कि जब देश आजाद हुआ था, उस समय हमारे सामने एक ऐसे भारत का नक्शा था जो कई भागों में बंटा हुआ था। तब 550 से ज्यादा देशी रियासतें थी। भारत को लेकर अंग्रेजों की रुचि ख़त्म हो चुकी थी, लेकिन वो इस देश को छिन्न-भिन्न करके छोड़ना चाहते थे।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता के प्रतीक सरदार पटेल को उसी समय गांधी जी ने बहुत बड़ी जिम्मेदारी देते हुए कहा था ‘राज्यों की समस्याएं विकट हैं और केवल आप ही इनका हल निकाल सकते हैं।’ सरदार पटेल ने सभी रियासतों का भारत में विलय कराया और देश को एकता के सूत्र में पिरोने के असंभव कार्य को पूरा कर दिखाया।

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