नई दिल्ली। भले ही सीमायें बंध गई हों देश जुदा हो गए हों लेकिन कुछ आदतें और हरकतें इन तीनों देशों की समान हैं। जी! हम बात कर रहे हैं भारत पाकिस्तान ओर बांग्लादेश की। दरअसल जिस तरह से हमारे देश भारत में भ्रष्टाचार में कई नेता लिप्त होकर सजा काट रहे हैं। ठीक वैसे ही पाकिस्तान में भी हाल है। ऐसे में फिर भला बांग्लादेश कैसे पीछे रह सकता है। इसकी ही बानगी है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में 7 साल की सजा मिली है।
गौरतलब है कि 73 साल की जिया फरवरी से पैसों का गबन करने के दूसरे मामले जेल में बंद हैं। उन्हें अपने पति और राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान के नाम पर चल रहे अनाथालय में गबन का दोषी पाया गया था। उनके साथ तीन और लोगों को दोषी पाया गया था। केस के मुताबिक जिया और तीन आरोपियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अज्ञात स्रोतो से फंड रेज किया। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत को मामले में अपना फैसला देने के लिए रास्ता साफ कर दिया था। न्यायालय ने जिया की अपील को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपनी गैर मौजूदगी में फैसले की सुनवाई पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी।
ज्ञात हो कि 20 सितंबर को अदालत ने फैसला लिया कि ओल्ड ढाका सेंट्रल जेल में जिया की गैर मौजूदगी में ट्रायल जारी रहेगा। पूर्व प्रधानमंत्री ने 20 सितंबर के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। दरअसल उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को जिया की मौजूदगी के बिना ट्रायल को जारी रखने का आदेश सुनाया था। 14 अक्तूबर को उच्च न्यायालय ने उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया। जिससे उनके खिलाफ सुनवाई चलती रही और अब उन्हें सजा मिली है।
इसके साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (एसीसी) ने जिया चैरिटेबल ट्रस्ट की खालीदा और तीन अन्य लोगों- खालीदा के राजनीतिक सचिव जियाउल इस्लाम मुन्ना, असिस्टेंट प्राइवेट सेक्रेटरी (एपीएस) हैरिस और ढाका सिटी के मेयर सादिक के एपीएस मोनीरुल इस्लाम खान के खिलाफ तेजगांव पुलिस थाने में साल 2011 में मामला दर्ज किया। मामले के बयान के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री और तीन अन्य ने शक्तियों का दुरुपयोग करके ट्रस्ट के लिए अज्ञात स्रोतों से धन इकट्ठा किया। 19 मार्च, 2014 को अदालत ने खालीदा सहित अन्य के खिलाफ आरोप तय किए।