नई दिल्ली। गुजरात दंगों का जिन्न जब-तब बोतल से बाहर आ ही जाता है और मोदी की दिक्कत बढ़ाता है। दरअसल एक बार फिर ये जिन्न बाहर आ गया है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट साल 2002 के गुजरात दंगे के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (वर्तमान में प्रधानमंत्री) को क्लीनचिट दिये जाने को चुनौती देने वाली पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि गुजरात दंगे के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी की ओर से दी गई क्लीनचिट को जाकिया जाफरी ने चुनौती दी थी। इस मामले पर अब सर्वोच्च न्यायालय 19 नवंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। उल्लेखनीय है कि गुजरात हाइकोर्ट ने एक वर्ष पहले जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया था।
जबकि वहीं इस याचिका में जाकिया ने मांग की थी कि गुजरात दंगों के मामले में 59 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए जाएं। कोर्ट ने कहा कि दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी और इसमें किसी बड़ी साजिश के आरोप को कोर्ट ने रद्द कर दिया। गुजरात हाईकोर्ट ने जाकिया से कहा है कि वो चाहें तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती हैं।
इतना ही नही बल्कि इस याचिका में कहा गया था कि गुजरात दंगों को आपराधिक साजिश मानते हुए 59 लोगों को फिर से आरोपी बनाकर नए सिरे से जांच के आदेश दिए जाएं। बता दें कि निचली अदालत ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर 56 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी।
ज्ञात हो कि हो कि गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को फूंक दिए जाने के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। रिपोर्टों के मुताबिक, आग लगाए गए डिब्बे में कुल 59 लोग मौजूद थे, जिसमें अधिकतर अयोध्या से लौट रहे कार सेवक शामिल थे। भड़के दंगों में करीब 1 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। मरने वाले लोगों में समुदाय विशेष के लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी।