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कार्तिक पूर्णिमा पर 70 साल बाद दिखेगा सबसे बड़ा चांद

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डेस्क। कार्तिक मास में होने वाली कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। यह पूर्णिमा इस बार 23 नवंबर 2018 को है। जिसमें चंद्रोदय के दर्शन मात्र से काया निरोगी होती है। साल 2018 में पड़ने वाली इस कार्तिक पूर्णिमा पर चांद अपने 180 अंशों पर होगा। इस पूर्णिमा पर दिखने वाले ‘फुल मून’ में स्नान से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं।

गौरतलब है कि इस साल पिछले सत्तर साल के इतिहास का सबसे बड़ा चांद दिखेगा। इस बार की कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रोदय के अति शुभ संयोग बन रहे हैं। आइए हम आपको बताते हैं कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और पूर्णिमा का महत्व…..

इस साल कार्तिक पूर्णिमा की रात चंद्रमा 180 अंश पर होगा। पूर्णिमा का चांद देखने में मनमोहक और चमकीला होता है। इसे फुल मून कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा से सकारात्मक किरणें निकलती हैं। ये किरणे सीधे दिमाग पर असर डालती हैं। साथ ही चंद्रमा की ये किरणें निरोगी काया देती हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रमा के प्रभाव से व्यक्ति बुद्धिमान होता है।

अंतरिक्ष में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट ग्रह है। इस कारण चंद्रमा की किरणों को सीधा प्रभाव पृथ्वी पर सबसे अधिक होता है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को चंद्रमा की स्तुति करनी चाहिए। अपनी मानसिक ऊर्जा में वृद्धि के लिए चंद्रमा को अर्घ्य दें और कुछ समय चांद की किरणों में बिताएं। साथ ही गंगा स्नान कर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके असर से व्यक्ति ज्ञानी होता जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का बड़ा महत्व है। वहीं इस पूर्णिमा पर दीपदान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। दीप दान के कारण कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पाप धुलते हैं।

इतना ही नहीं कार्तिक माह की पूर्णिमा स्नान व दान दोनों के लिए सर्वश्रेष्ठ बताई गई है। इस पूर्णिमा में गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। गंगा स्नान संभव न हो तो सामान्य जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद श्रद्धालु को भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करनी चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा का उपवास भी करना लाभकारी होता है। पूर्णिमा के दिन उपवास रखकर एक समय भोजन करें। श्रद्धालु सामर्थ्य अनुसार दूध, केला, खजूर, नारियल व अमरूद आदि फल दान करें। कार्तिक पूर्णिमा की शाम चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। चंद्रमा की पूजा के पश्चात इस दिन ब्राह्मण, बहन, या फिर बुआ को दान देना अति लाभकारी बताया गया है।

कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, पापों का नाश होता है।

कार्तिक पूर्णिमा देवों दीपावली में को मनाने का अवसर देती है। जिसमें प्रकाश से प्राणी के भीतर छिपी बुरी प्रवृत्तियों और अंधकार का नाश होता है। कार्तिक माह की त्रयोदशी,चतुर्दशी और पूर्णिमा को पुराणों ने अति पुष्करिणी कहा है। स्कंद पुराण के अनुसार जो प्राणी कार्तिक मास में प्रतिदिन स्नान करता है, वह यदि केवल इन तीन तिथियों में सूर्योदय से पूर्व स्नान करे तो भी जीवन के सभी पापों को नष्ट कर देवलोक का भागी हो जाता है।

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