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बुलंदशहर हिंसा: अगर वो साजिश में कामयाब हो जाते तो हालात और भी खौफनाक सामने आते

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लखनऊ। प्रदेश के जनपद बुलंदशहर में हुई हिंसा की घटना में अगर गौर से देख जाये तो इसके पीछे किसी बड़ी और गहरी साजिश के होने से इंकार नही किया जा सकता है। क्योंकि काफी हद तक कई अहम तथ्य इसकी बखूबी पष्टि करते हैं। तमाम आरोपों प्रत्यारोपों के बीच इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस की सूझबूझ से साजिशकर्ता अपने मंसूबों में उस हद तक कामयाब नही हो सके जिस हद तक वो इस हिंसा को फैलाना चाहते थे। हालांकि उस साजिश को नाकाम करने में एक जांबाज पुलिस इंस्पेक्टर को अपनी जान तक गंवानी पड़ गई।

गौरतलब है कि  बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा कानून-व्यवस्था का प्रश्न तो है, लेकिन यह गहरी साजिश की ओर भी इशारा करती है। यह हिंसा सोची-समझी योजना लगती है। उसके संकेत साफ तौर पर अब पुलिस अधिकारियों की प्रारंभिक जांच और बुलंदशहर घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के बयान बुलंहशहर की हिंसा में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए योजनाबद्ध प्रयासों की ओर इशारा कर रहे हैं। क्योंकि बुलंदशहर के महाव गांव जहां गोकशी की बात कही गई थी, वहां घटनास्थल तक पहुंचने वाले अधिकारियों में तहसीलदार राजकुमार भास्कर के मुताबिक जिस तरह से गाय के सिर और चमड़ी को लटकाया गया था। वो अपने आप में साफ तौर पर साजिश का इशारा करता है।

वहीं ये बात भी बिलकुल तय है कि कोई भी जो गाय काटेगा वो उसके अवशेषों को छुपाने की कोशिश करेगा न कि यूं इस तरह से उसकी नुमाइश करने की कोशिश करेगा। जबकि वहां पर ऐसा किया गया था।’ इसके साथ ही एक और बेहद अहम इसहिंसा के पीछे गहरी साजिश को बल देने वाली बात ये है कि घटना का स्थान और समय क्योंकि बुलंदशहर में लगभग 10 लाख मुस्लिम इकट्ठे हुए थे, सोमवार को तबलीगी जमात के इज्तेमा का आखिरी दिन था। इस जमात के ज्यादातर लोग इसी मार्ग से वापस लौटने वाले थे, जिस पर प्रदर्शनकारी जाने की कोशिश कर रहे थे। एक ग्रामीण ने मीडिया को बताया कि ‘घटना के पिछले दिन उन्होंने घटनास्थल पर गाय का मांस नहीं देखा था।

हालांकि इतने बड़े मजहबी कार्यक्रम के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन को बेहद ही सतर्क रहने की जरूरत थी। क्योंकि जरा सी चूक ने उसके सारे किये कराये पर पानी फेर दिया। वहीं शासन और प्रशासन को अब बखूबी ये भी समझना होगा कि आखिरी वो कौन लोग हैं जो सड़क पर आवारा घूमते और कचरा तथा पन्नी खाते गोवंश की तो फिक्र तक नही करते और वहीं गोरक्षा का ढोंग कर हिंसा को अंजाम देने में लगे हैं। सवाल है कि गोकशी के शक में लोग भीड़ की आड़ लेकर कब तक निर्दोषों की जान लेते रहेंगे? कौन लोग हैं जो गोवंश की रक्षा के नाम पर खुलेआम हिंसा को अंजाम दे रहे हैं, क्या बिना राजनीतिक संरक्षण के वे ऐसा कर रहे हैं? आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा? देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसा हो रहा है।

ज्ञात हो कि कल देर रात तक कानून-व्यवस्था की समीक्षा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने व बुलंदशहर में हुई हिंसा को एक गहरी साजिश का हिस्सा करार देते हुए ऐसे लोगों को तुरंत गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं। वहीं गोकशी करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बुलंदशहर की घटना को षड्यंत्र करार दिया। बैठक के दौरान सवाल उठा कि आखिर कैसे बुलंदशहर में ही ऐसी घटना हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना अचानक नहीं हुई। आखिर यह बवाल उसी शहर में क्यों हुआ जहां एक बड़ा समारोह हो रहा था।

जबकि वहीं उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओमप्रकाश सिंह का कहना है कि बुलंदशहर हिंसा एक बड़ी साजिश है। ये सिर्फ एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। मामले की जांच एसआईटी कर रही है। जांच रिपोर्ट आने पर सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी। मामले में अब तक चार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जबकि मुख्य आरोपी बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज फरार है। डीजीपी ने कहा कि पूरा मामला एक साजिश नजर आ रही है। आखिर क्यों और कैसे गोवंश के अवशेष वहां लाए गए थे। इसकी जांच की जा रही है। हिंसा में 28 को नामजद और 60 पर केस दर्ज किया गया है।

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