नई दिल्ली। बालीवुड फिल्म इंडस्ट्री में एक चलन सा हो गया है कि फिल्म में ऐसा कुछ विवादित सीन या डॉयलाग डाल दो जिसको लेकर बवाल हो और बाद में इसकी ही बदौलत फिल्म न सिर्फ सुर्खियों में आ जाए और फिल्म् वाले मालामाल हों। कई ऐसी फिल्मों के बाद अब फिल्म केदारनाथ को लेकर भी विवाद होने लगा है।
गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान की जोड़ी वाली फिल्म ‘केदारनाथ’ को उत्तराखंड के सात जिलों में दिखाए जाने पर रोक लगा दी है। उत्तराखंड के एडीजी कानून-व्यवस्था अशोक कुमार ने ये जानकारी दी है। फिल्म पर देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, उधम सिंह नगर, पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा जिलों में प्रतिबंध लगाया गया है। नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों के जिलाधिकारियों ने गुरुवार को फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया था।
दरअसल उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को रिलीज हो रही 2013 में केदारनाथ की प्रलयंकारी बाढ़ की त्रासदी की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘केदारनाथ’ के प्रदर्शन पर कोई प्रतिबंध ना लगाते हुए इस संबंध में जिलाधिकारियों को हालात के अनुसार स्वयं निर्णय लेने को कहा था। वहीं हाईकोर्ट ने केदारनाथ फ़िल्म के खिलाफ दायर जनहित याचिका निस्तारित कर दी थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खंडपीठ ने गुरुवार को मामले में सुनवाई की।
ज्ञात हो कि देहरादून निवासी दर्शन भारती ने केदारनाथ फ़िल्म में हिन्दू धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। फिल्म को लेकर उठ रही आपत्तियों के मद्देनजर सरकार ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में कमेठी गठित की। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि हमारी समिति ने हमारा सुझाव मुख्यमंत्री को भेज दिया है और तय किया है कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की जानी चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने जिला मजिस्ट्रेटों से शांति बनाए रखने के लिए कहा है और सभी ने तय किया है कि फिल्म ‘केदारनाथ’ को प्रतिबंधित कर दिया जा। यह फिल्म राज्य में सभी जगह प्रतिबंधित है। कोर्ट के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता दर्शन भारती ने कहा कि उन्हें इससे निराशा हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश और केंद्र सरकार से इस फिल्म पर रोक की मांग की जाएगी। उच्चस्तरीय कमेटी से भी वह इस मामले में अनुरोध करेंगे। जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि फिल्म में केदारनाथ मंदिर परिसर में बोल्ड किसिंग सीन और लव जेहाद जैसे दृश्य फिल्माए गए हैं। संयुक्त पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि आपत्तिजनक सीन का मामला सेंसर बोर्ड के अधिकार का है, वहीं शांति व्यवस्था सरकार या जिले में डीएम के जिम्मे है, ऐसी किसी परिस्थिति में सरकार अथवा उसके नुमाइंदा बतौर डीएम फैसला ले सकते हैं। अदालत ने यह भी टिप्पणी की है कि जनता चाहे तो यह फिल्म न देखे। अदालत ने कहा कि याचिका दायर कर याची फिल्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।