नयी दिल्ली। तीन पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार एवं अन्य मामलों में संलिप्त पाए जाने के बाद दिए गए वीरता पदक को वापस ले लिया गया है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) धर्मेन्द्र चौधरी, पंजाब पुलिस के उपनिरीक्षक गुरमीत सिंह और झारखंड पुलिस के उपनिरीक्षक ललित कुमार । अधिकारी ने बताया कि चौधरी को दिए गए पुलिस वीरता पदक को सितम्बर में वापस ले लिया गया, वहीं ललित कुमार का जून में और गुरमीत सिंह का मई में पदक वापस लिया गया।
उन्होंने कहा कि चौधरी से कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने के लिए पदक वापस लिया गया। उन्हें राज्य पुलिस सेवा से पदोन्नति देकर भारतीय पुलिस सेवा में लाया गया था। चौधरी 2002 में झाबुआ में एएसपी थे, जब उन्होंने मुठभेड़ में एक वांछित अपराधी को मार गिराया था। बहरहाल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शिकायत के बाद जांच के आदेश दिए। अधिकारी ने बताया कि बाद में पाया गया कि मुठभेड़ फर्जी था। गुरमीत सिंह को 1997 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर वीरता पदक दिया गया था। उन पर हत्या का मुकदमा चला और 2006 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई। बाद में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय को जुलाई 2015 में सजा के बारे में पता चला। पंजाब सरकार के समक्ष मामले को उठाया गया, सजा की जिसने पुष्टि की और मंत्रालय को वापस पदक लेने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा। खुफिया एजेंसियों की राय प्राप्त करने के बाद गृह मंत्रालय ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पदक वापस लेने का प्रस्ताव भेजा जिसे उन्होंने मंजूरी दे दी। अधिकारी ने बताया कि ललित कुमार भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त पाए गए। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक वीरता पदक तब वापस ले लिया जाता है जब पुरस्कार पाने वाला किसी अदालत से दोषी ठहराया जाता है।