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जब सुमित्रा महाजन को ऐसा कहना पड़ा कि क्या हम स्कूली बच्चों से भी गए-गुजरे हैं ….

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नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में पांच दिनों से विभिन्न मुद्दों पर चले आ रहे हंगामे से नाराज लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंगलवार को सदसयों से कुछ ऐसी बात कही जो न सिर्फ बेहद अहम है बल्कि गंभीरता से ध्यान देने वाली भी है। दरअसल आज स्पीकर ने सदस्यों से कहा कि क्या हम ‘स्कूली बच्चों से भी गए-गुजरे’ हो गए हैं।

गौरतलब है कि सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे शुरू होने पर भाजपा, कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, तेदेपा सदस्य अपने अपने मुद्दों को लेकर शोर शराबा कर रहे थे। कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, तेदेपा सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे थे ।

इस पर सुमित्रा ने कहा कि मैं समझ सकती हूं कि यह वर्तमान लोकसभा का आखिरी पूर्ण सत्र है और आप लोगों के अपने अपने मुद्दे हैं। संसद चर्चा के लिए है और सरकार चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन शोरगुल सही तरीका नहीं है।

उन्होंने कहा कि अगर आपके मुद्दे हैं तो मैं खुद सरकार से कहूंगी कि चर्चा कराई जाए। लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से कहा कि विदेश के शिष्टमंडल आते हैं और लोग पूछते हैं कि आपके यहां क्या हो रहा है। स्कूली बच्चों के संदेश आ रहे हैं कि हमारे स्कूल बेहतर चलते हैं। ‘‘ क्या अब हम स्कूली बच्चों से भी गए-गुजरे हो गए हैं?’’

इस बीच, सदन में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राफेल मामले पर जेपीसी के गठन की मांग दोहराते हुए कहा कि सरकार को यह मांग स्वीकार करनी चाहिए और जेपीसी के समक्ष उच्चततम न्यायालय में उल्लेखित कैग रिपोर्ट आनी चाहिए और विमान के मूल्य तथा दूसरे दस्तावेजों की जांच होनी चाहिए। राफेल मामले पर कांग्रेस की जेपीसी बनाने की मांग पर सुमित्रा ने कहा कि जेपीसी मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ हो गया है। सरकार राफेल मामले पर चर्चा के लिए तैयार है। सदन में पिछले पांच कामकाजी दिनों में राफेल मामले, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग और तमिलनाडु में कावेरी डेल्टा के किसानों के मुद्दों को लेकर हंगामा हुआ है। इस वजह से कार्यवाही निरंतर बाधित रही है।

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