नई दिल्ली। एक मशहूर कहावत है- जाको राखे साईंया मार सके न कोय। यह बात हावड़ा-अमृतसर मेल के टॉयलेट में फंसे उस नवजात पर बिलकुल फिट बैठती है जिसे कि उसकी मां ने जन्म देने के बाद गले में चुन्नी का फंदा लगाकर फ्लश में ठूंस दिया था। चूंकि बच्चा पूरी तरह मेच्योर होने के बाद पैदा हुआ था। हेल्दी होने के कारण फ्लश करने के बाद भी ट्रेन से नीचे नहीं गिरा और फ्लश पाइप में ही करीब 12 घंटे तक फंसा रहा।
शनिवार दोपहर को सफाईकर्मियों ने नवजात को देखा, उसे निकालकर अस्पताल पहुंचाया और उसके लिए गर्म कपड़ों की व्यवस्था की। पुलिस को जानकारी दे दी गई है। बच्चे की मां का अभी पता नहीं चल पाया है। ट्रेन में सफाई का कार्य देखने वाले साभी ने कहा, ‘लगभग 2.30 बजे मुझे अपने एक सफाईकर्मचारी का फोन आया। जिसने मुझे बताया कि उन्हें ट्रेन में एक मृत बच्चा मिला है। तुरंत मैं ट्रेन की तरफ गया।’
साभी ने बताया कि जब वह ट्रेन में पहुंचे तो उन्हें एसी कंपार्टमेंट के डी-3 कंपार्टमेंट के टॉयलेट में फ्लश किया हुआ बच्चा मिला। उन्होंने कहा, ‘दुपट्टे का एक हिस्सा टॉयलेट के बाहर लटक रहा था। जब हमने दुपट्टे को खींचा तो बच्चा जिसकी गर्दन दुपट्टे से बंधी हुई थी वह बाहर निकला। हम यह देखकर हैरान रह गए कि बच्चा अभी भी जिंदा था।’
साभी ने कहा कि उन्होंने बच्चे को साफ किया और उसे अमृतसर के सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। इसके बाद सरकारी रेलवे पुलिस को इसकी जानकारी दी। सिविल अस्पताल के डॉक्टर संदीप ने कहा, ‘जब बच्चे को यहां भर्ती कराया गया तब वह ठंड के कारण कांप रहा था। हमने तुरंत उसे हीटर में रखा ताकि उसे गर्मी मिल सके। बच्चों के विशेषज्ञ चार डॉक्टर बच्चे की देखभाल में लगे हुए हैं, जो अब खतरे से बाहर है। ऐसा लगता है कि बच्चा एक दिन है।’
वहीं, नवजात की जिंदगी बचाने वाले हीरो कह रहे हैं कि अगर बच्चे को कोई पालने वाला न मिले तो प्रशासन उन्हें बच्चा सौंप दे उसे हम अपने बच्चे जैसा लाड प्यार देंगे। वहीं अमृतसर जीआरपी के एसएचओ बलबीर सिंह ने कहा, ‘अमृतसर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन लगभग 10.30 बजे पहुंची और फिर वाशिंग प्लेटफॉर्म पर पहुंची। ऐसा लगता है कि नवजात चार घंटों से ज्यादा समय तक टॉयलेट में रहा है। वह भी सर्दी के मौसम में। धारा 317 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।’