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कांग्रेस और राजस्थान में गहलोत के लिए भाग्यशाली रहा साल 2018

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नई दिल्ली। तमाम जद्दोजेहद के बाद आखिरकार कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए साल 2018 काफी बेहतर ही रहा क्योंकि एक तरफ जहां कर्नाटक में वह जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने में  कामयाब रही वहीं साल के जाते जाते और बेहद ही अहम 2019 के लोकसभा चुनाव के नजदीक आते आते तीन ऐसे अहम राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत छत्तीसगढ़ में भाजपा को हटाकर सत्ता पाने में कामयाब रही। जो कि बेहद ही अहम बात थी।
जिसके तहत जहां हालांकि काफी गहन मंथन के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत तथा छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद सम्हाला। एक तरह से पिछले काफी समय से एक बड़ी कामयाबी की राह देख रही कांग्रेस के लिए ये एक सजीवनी ही कही जाएगी। क्योंकि ये ऐसे अहम वक्त में उसने हासिल की है जब देश में 2019 के लोकसभा चुनाव एक दम सिर पर आने को हैं।

इसके साथ ही  राजस्थान में वर्ष 2018 सत्ता में बदलाव से कांग्रेस एवं तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने से अशोक गहलोत के लिए भाग्यशाली रहा वहीं विवादित बिल समाप्त एवं भारत बंद, पद्मावत फिल्म पर विवाद एवं फिल्म अभिनेता सलमान खान को सजा तथा अन्य फैसले एवं घटनाएं बीतने वाले वर्ष की प्रमुख यादें रही।

राजस्थान में वर्ष 2013 के चुनाव में केवल 21 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने गत सात दिसम्बर को हुए पन्द्रहवीं विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराकर फिर सत्ता में आई और पिछले विधानसभा चुनावों में करीब पच्चीस वर्ष से एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा की सत्ता की बनी परम्परा को तोड़कर फिर से राज्य में अपना राजनीतिक प्रभुत्व साबित ।

इस चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती और एक उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल ने जीती जबकि चौदहवीं विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीतकर भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा केवल 73 सीटों पर सिमट ।

आजादी के बाद से वर्ष 1977 में जनता पार्टी को छोड़कर राज्य में कांग्रेस एवं भाजपा की सरकारें रहने से तीसरे विकल्प की तलाश कर रहे नेताओं के लिए भी वर्ष 2018 भाग्यशाली रहा और तीसरे मोर्चा के गठन को लेकर संघर्ष कर रहे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) बनाने वाले हनुमान बेनवाल की रालोपा अपने पहले चुनाव में ही तीन सीटें जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज की। रालोपा चुनाव में प्रमुख दल कांग्रेस एवं भाजपा उम्मीदवारों के लिए कई स्थानों पर समस्या भी ।

इसी तरह आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही डूंगरपुर में भारतीय आदिवासी पार्टी (बीटीपी) ने भी दो सीटे जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व दिखाया। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी छह सीटे जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व को बढ़ाया।

वर्ष के शुरु में 29 जनवरी को हुए दो लोकसभा एवं एक विधानसभा उपचुनाव में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इसमें अजमेर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डा़ रघु शर्मा, अलवर लोकसभा उपचुनाव में डा़ कर्ण सिंह यादव तथा भीलवाड़ा जिले के माण्डलगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार विवेक धाकड़ विजयी ।

कांग्रेस के लिए प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव एवं लोकसभा एवं विधानसभा उपचुनाव के लिए बीतने वाला वर्ष भाग्यशाली रहा लेकिन इससे पहले पन्द्रह मार्च को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार के नहीं जीत पाने से राज्य की सभी दस सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया और इस मामले में भाजपा के लिए यह साल भाग्यशाली साबित हुआ और यह पहला मौका है कि राज्यसभा की सभी दस सीटों पर एक ही पार्टी का प्रतिनिधित्व हैं। पन्द्रह मार्च तीन सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार भूपेन्द्र सिंह यादव, डा़ किरोड़ी लाल मीणा एवं मदन लाल सैनी सांसद चुने गये।

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