नई दिल्ली! दिसंबर 2018 के आखिरी दिनों में बैंककर्मी हड़ताल पर गए थे और अन्य छुट्टियों के कारण बैंक बंद रहने से ग्राहकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था. अब खबर है कि बैंककर्मी एक बार फिर हड़ताल पर जाने वाले हैं. अगले सप्ताह दो दिन बैंकिंग सेवा पर बुरा असर पड़ने की आशंका है.
सरकारी बैंक कर्मचारी संगठनों के एक धड़े ने अगले सप्ताह मंगलवार और बुधवार को हड़ताल का आह्वान किया है. सरकार की कथित श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ 10 केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने दो दिनों का देशव्यापी हड़ताल बुलाया है, जिसे बैंक कर्मचारी संगठनों का एक धड़ा समर्थन दे रहा है.
आईडीबीआई बैंक ने बीएसई को बताया कि ऑल इंडिया बैंक इंप्लॉईज एसोसिएशन (एआईबीईए) तथा बैंक इंप्लॉईज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) को इस हड़ताल में उनके शामिल होने की सूचना दी है.
इलाहाबाद बैंक ने भी बीएसई को बताया कि मुद्दे और मांगें उद्योग जगत के स्तर की हैं और हडताल का आहवान भी उद्योग के स्तर पर ही किया गया है. इसलिए अगर हड़ताल किया जाता है, तो बैंक की गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि बैंक दो दिनों की संभावित परिस्थितियों में सेवा सुचारू रूप से चलाते रहने की हर संभव तैयारियों में जुटा है.
बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) ने भी दो दिनों की आगामी हड़ताल की अवधि में उसकी कुछ शाखाओं में कामकाज पर असर पड़ने की आशंका जताई है.
हड़ताल के खिलाफ दायर याचिका खारिज: कलकत्ता हाई कोर्ट ने आगामी आठ-नौ जनवरी को देशभर के विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा प्रस्तावित दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी.
हालांकि हालांकि उन्होंने हड़ताल व बंद को असंवैधानिक करार दिया. बंद व हड़ताल के कई अन्य मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने भी इसे असंवैधानिक माना है. हाई कोर्ट के अधिवक्ता राम प्रसाद सरकार की ओर से दायर जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि याचिका अधूरी है.
ये है हड़ताल की वजह-
वाम समर्थित श्रमिक संगठनों की ओर से न्यूनतम मजदूरी 18 हजार रुपये व बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराए जाने की मांग को लेकर हड़ताल का आह्वान किया गया है. कांग्रेस ने इस हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया है.