नई दिल्ली। देश की अहम एजेंसी सीबीआई में हाल फिलहाल जो हालात हैं उसके लिहाज से वहां तैनात तमाम अधिकारी और कर्मचारी न सिर्फ हलकान हैं बल्कि एक तरह से काफी परेशान हैं। क्योंकि इधर दो तीन दिन से हालात ही कुछ ऐसे रहे हैं। दरअसल एक बार फिर से सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी संभालने के बाद नागेश्वर राव ने आलोक वर्मा द्वारा किए गए तबादलों संबंधी फैसले को रद्द कर दिया है।
गौरतलब है कि आलोक वर्मा के तबादले के बाद एम नागेश्वर राव को सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पहले वह सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक थे। गुरुवार को जारी हुए सरकारी आदेश के अनुसार, 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त बनाया गया । जिसका चार्ज लेने के बजाय वर्मा ने सेवा से इस्तीफा ही दे दिया है।
हालांकि इससे पहले नागेश्वर राव को सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के बीच की बहस सार्वजनिक होने के बाद अतिरिक्त निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्मा और अस्थाना के बीच बढ़ते विवाद के बाद 23 अक्तूबर को केंद्र सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था। सरकार के इस फैसले को वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
मंगलवार को अदालत ने उन्हें बहाल किया था। जिसके बाद वह बुधवार को सीबीआई दफ्तर गए थे। कोर्ट से बहाली के बाद आलोक वर्मा ने पूर्व में नागेयवर राव के तमाम आदेशों को रद्द कर दिया था। इन्हीं सब उठापटक और लगातार जारी कशमकश के चलते ही जहां तमाम अफसर और कर्मचारी बेहद ही परेशान हैं बल्कि एक तरह से एक संशय के वातावरण का सामना कर रहे हैं। इतना ही नही इस सबके चलते कार्यों का प्रभावित होना भी जारी है।
ज्ञात हो कि राव 1986 बैच के ओड़िशा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। उनपर भी भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक, राव की पत्नी मनेम संध्या ने इस कंपनी में अलग-अलग समय पर कुल मिलाकर 60 लाख रुपये का निवेश किया था, जिसमें 38.27 लाख रुपये को बतौर कर्ज दिखाया गया था। इस निवेश के लिए संध्या ने आरओसी से अपने पति नागेश्वर राव का नाम और उनका पता छिपाया था। उन्होंने एम. संध्या के नाम से निवेश करते हुए पति की जगह पिता चिन्नम विष्णु नारायण का नाम दिया था।