नई दिल्ली। देश में आज के दिन दो नन्ही परियों के लिए रही बड़ी और अहम बात एक को मिला प्रधानमंत्री मोदी का साथ तो दूसरी के सिर पर रखा देश के सबसे अहम सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथ। जी! दरअसल आज जहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पाने वाली ईहा दीक्षित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली। वहीं नन्हीं रिमझिम (अंशिका) का सपना पूरा हुआ। पिता के हाथों बनाई गई खड़ाऊं अपने हाथ से उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट की।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पाने वाली ईहा दीक्षित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली। इस दौरान ईहा ने पीएम मोदी के साथ पौधरोपण किया। खास बात यह है कि पीएम मोदी ने भी ईहा को पौधा देकर सम्मानित किया। इस बीच करीब 7 से 10 मिनट तक पीएम मोदी ईहा से मिले। उन्होंने ईहा की सराहना करते हुए कहा कि तुम अच्छा काम कर रही हो, इसे भविष्य में जारी रखना।
इतना ही नही बल्कि ईहा ने पीएम मोदी से काफी बातें कीं और उनके साथ मस्ती भी की। वहीं पीएम मोदी ने ईहा के सिर पर हाथ रखकर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया। बालशक्ति पुरस्कार पाने वाली मेरठ की बेटी ईहा दीक्षित के पिता कुलदीप शर्मा ने बताया था कि ईहा को प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए अलग से सात मिनट का वक्त मिला। ईहा के साथ महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांधी भी रहीं।
जबकि वहीं एक और नन्ही परी नन्हीं रिमझिम (अंशिका) ने अपने मृतक पिता के उस सपने को पूरा कर यह साबित कर दिया कि वाकई बेटियां किसी भी मायने में नही हैं कम बेटियों में होता है बहुत ही दम। दरअसल रिमझिम ने पिता के हाथों बनाई गई खड़ाऊं अपने हाथ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट की। तकरीबन आधे घंटे की मुलाकात के दौरान जहा मुख्यमंत्री ने बड़े ही स्नेहपूर्वक रिमझिम से बात की। उससे कविता सुनी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने डीएम को बुलाकर कहा कि बिटिया को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने अपने राहत कोष से रिमझिम को पांच लाख रुपए देने की घोषण की। इसके अलावा उसको पिता के बीमा के भी पांच लाख रुपए दिए जा रहे हैं। माल के सालेहनगर की रिमझिम मुख्यमंत्री को खड़ाऊं भेंट करना चाहती है इस खबर को ‘हिन्दुस्तान’ ने प्रमुखता से छापा था। जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने गुरुवार को रिमझिम को आवास पर बुलाया।
ज्ञात हो कि इस प्यारी परी रिमझिम के माता पिता दोनों ही नहीं है। तीन साल पहले मां की मृत्यु हो गई थी। पिता आनन्द शर्मा बिजली विभाग में संविदा कर्मी थे। बीते नवम्बर में खंभे से चिपक कर उनकी मृत्यु हो गई। हस्तशिल्प के कारीगर भी थे। अपने हाथों से मुख्यमंत्री के लिए खड़ाऊं बनाई। बीते पांच नवम्बर को दुर्घटना में मृत्यु हो गई। अपनी बिटिया रिमझिम से वह सारी बात बताते थे। पिता को खोने के बाद रिमझिम का एक ही सपना था कि मुख्यमंत्री योगी बाबा को खड़ाऊं भेंट करनी है।