लखनऊ। देश के सबसे अहम सूबे उत्तर प्रदेश में घोटालों को लेकर छापेमारी का सिलसिला बखूबी जारी है जिसके चलते अधिकारियों समेत नेताओं में हड़कम्प मचा हुआ है कि न जाने अगली किसकी बारी है। दरअसल अभी खनन एवं रिवर फ्रंट घोटालों में जारी पूछताछ के चलते जहां वैसे ही काफी हड़कम्प मचा हुआ है वहीं अब स्मारक घोटाले में ईडी द्वारा आज लखनऊ में कई जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी किये जाने से सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार खासा गर्म हो चला है।
गौरतलब है कि स्मारक घोटाला 2007 से 2011 के बीच का है तब प्रदेश में बसपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री मायावती के शासन काल में नोएडा और लखनऊ में पार्कों और स्मारकों का निर्माण कराया गया था जिसमें बड़े पैमाने पर घोटाले होने की बात सामने आई थी। वहीं इस मामले में अब मामले में कई इंजीनियर, ठेकेदार और सरकारी अधिकारी ईडी के निशाने पर हैं।
जिसके तहत ही आज सुबह से ईडी टीम ने स्मारक घोटाले को लेकर गोमतीनगर, अलीगंज, हजरतगंज और शहीद पथ के पास इंजीनियर और ठेकेदारों के छह ठिकानों को घंटों खंगाला। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही पार्कों और स्मारकों में पत्थरों को लगाने में हुए घोटाले की जांच उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त से करने की सिफारिश की थी। जिस पर लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने अपनी जांच रिपोर्ट में 1400 करोड़ रुपये के घोटले की पुष्टि की थी
इतना ही नही लोकायुक्त् ने इसके साथ ही 19 लोगों के खिलाफ़ केस दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की सिफ़ारिश मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से की थी। लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री को भेजी अपनी सिफारिश में कहा था जो चौदह अरब से ज़्यादा के खर्च पत्थरों पर किए गए हैं उसमें हुए भ्रष्टाचार के पैसे की वसूली की जानी चाहिए। ज्ञात हो कि इसके पहले रिवरफ्रंट व अवैध खनन में घोटाले की जांच को लेकर छापेमारी की गई। अवैध खनन में कल बुधवार को आईएएस अफसर बी. चंद्रकला से पूछताछ की गई। ये दोनों मामले 2012 से 2017 के दौरान अखिलेश सरकार से जुड़े रहे हैं।