नई दिल्ली! देशवासियों को विदेशों में जमा काले धन को वापिस लाने का वादा करके सत्ता में आई मोदी सरकार का कार्यकाल पूरा होने में अब कुछ ही महीने बाकी रह गए है. अब सरकार विदेशों में जमा काले धन पर नकेल कसने की तैयारी में है.
154 देशों के साथ हुए समझौते में तमाम सूचनाएं वित्त मंत्रालय के खुफिया विभाग के पास पहुंची हैं. पांच हजार के करीब दस्तावेजों को सौ से भी ज्यादा देशों ने भारत के साथ साझा किया है. इसमें विभिन्न टैक्स हैवेन देशों में जमा भारतीयों के जमा धन का भी पता मंत्रालय को लगा है. जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव से पहले कई ऐसे नामों का खुलासा किया जाएगा, जो राजनीति में हैं और विदेशों में उनके द्वारा बड़े पैमाने पर कालाधन एकत्र किया गया है. वित्तीय खुफिया विभाग (एफआईयू), गंभीर धोखाधड़ी वित्तीय कार्यालय (एसएफआईओ), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर विभाग (सीबीडीटी) समेत कई एजेंसियां राजस्व सचिव के नेतृत्व में इस पहलू पर काम कर रही हैं.
मंत्रालय के मुताबिक अब तक करीब 90 देशों द्वारा 5000 अहम दस्तावेजों को भारत के साथ साझा किया जा रहा है, जो कर चोरी जैसे पहलुओं से संबंधित हैं. पिछले साल स्विस बैंक बीआईएस की तरफ से आंकड़े जाहिर कर कहा था कि 2017 में कालेधन में 34.5 फीसदी की कमी आई है. उसने कहा था कि मोदी सरकार में कालाधन 80 फीसदी कम हुआ है. नोटबंदी के बाद वित्त मंत्रालय ने टैक्स हैवेन देशों में जमा कालेधन का पता लगाने के लिए अमेरिका, यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया समेत तमाम देशों से समझौता किया था. दूसरी ओर से देश में सीबीडीटी, एफआईयू, ईडी और सीबीआई समेत विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों की मदद से 6900 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्तियां और 1600 करोड़ रुपये की विदेशी परिसंपत्तियां जब्त कर ली गईं.