नई दिल्ली। बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को आज न सिर्फ कड़ी फटकार लगाई बल्कि केस को पटना से दिल्ली के साकेत पास्को कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। साथ ही केस में सीबीआई के तत्कालीन अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को अवमानना का नोटिस भेजा और 12 फरवरी को अपने समक्ष पेश होने को कहा। वहीं इस मामले में जज को निर्देश दिया है कि दो हफ्तों में इस मामले की सुनवाई शुरू करें और छह महीने के अंदर ट्रायल पूरा करें।
गौरतलब है कि इस जघन्य मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने बिहार सरकार को कहा कि दोपहर 2 बजे सभी सवालों के जवाब के साथ कोर्ट में हाजिर हों। इस दौरान कोर्ट ने सीबीआई को भी पेश होने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली से पटना सिर्फ दो घंटे का रास्ता है। हम चीफ सेक्रेट्री को दो घंटे के अंदर कोर्ट में खड़ा कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की कार्यप्रणाली पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बच्चों के साथ इस तरह का बर्ताव कैसे किया जा सकता है। अब बहुत हो चुका। सरकार आप चला रहे हैं, हम नहीं। लेकिन सवाल यह उठता है कि आप बिहार में किस तरह से सरकार चला रहे हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक को ए के शर्मा का ट्रांसफर जांच एजेंसी के बाहर करने की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के नाम बताने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक ए के शर्मा का ट्रांसफर सीआरपीएफ में किए जाने से पहले उसकी पूर्व इजाजत नहीं लिए जाने पर निराशा जाहिर की। कोर्ट ने अपने पहले के आदेशों का हवाला दिया, जिनमें सीबीआई से बिहार आश्रय गृह मामलों की जांच करने वाली टीम से एक के शर्मा को नहीं हटाने को कहा गया था।
शीर्ष कोर्ट ने ए के शर्मा के ट्रांसफर प्रक्रिया में शामिल सीबीआई के अन्य सभी अधिकारियों को भी 12 फरवरी को पेश होने को कहा। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश के उल्लंघन के लिए सीबीआई अभियोजन निदेशक प्रभारी एस भासु राम को भी मौजूद रहने का निर्देश दिया।