नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा आज बृहस्पतिवार को रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती किये जाने से काफी हद तक किसानों और मिडिल क्लास को बड़ी राहत मिल सकेगी। उम्मीद है इससे बैंक होम, ऑटो जैसे लोन आदि पर ब्याज दरें कम करेंगे। मौद्रिक नीति में बिना गारंटी के कृषि कर्ज देने की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपये कर दी है।
गौरतलब है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति के तहत जहां नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) 6.50 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत किये जाने से रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में कम होकर 6 प्रतिशत रह गई। जबकि बैंक दर, सीमांत स्थायी दर 6.5 प्रतिशत रही। वहीं नकद आरक्षित अनुपात 4 प्रतिशत पर बरकरार है । हालांकि मार्च तिमाही के लिये मुख्य मुद्रास्फीति (हेडलाइन) अनुमान को कम कर 2.8 प्रतिशत किया गया।
जिसके चलते जहां अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 3.2 से 3.4 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान। वहीं जीडीपी वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जो 2018-19 में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-सितंबर के दौरान वृद्धि दर 7.2 से 7.4 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया जा रहा है।
इसी प्रकार तेल कीमत परिदृश्य अस्पष्ट, व्यापार तनाव का वैश्विक वृद्धि संभावना पर होगा असर। केंद्रीय बजट प्रस्तावों से खर्च योग्य आय बढ़ेगी जिससे मांग को बढ़ावा मिलेगा। एक बार में थोक जमा परिभाषा को संशोधित किया गया। अब एक करोड़ रुपये के बजाए एक बार में 2 करोड़ रुपये अथवा इससे अधिक की जमा इस श्रेणी में आएगी। बड़ी श्रेणियों की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में तालमेल को लेकर दिशानिर्देश जारी किया जाएगा।
इसके अलावा रुपये के मूल्य में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये विदेशी रुपया बाजार के लिये कार्य बल गठित करने का प्रस्ताव। कंपनी बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश पर पाबंदी हटी। भुगतान के लिये मंच उपलब्ध कराने की सेवा देने वाले तथा भुगतान संग्राहक के लिये परिचर्चा पत्र लाया जाएगा। बिना गारंटी के कृषि कर्ज देने की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपये की गयी। इससे छोटे एवं सीमांत किसानों को मदद मिलेगी।
इसके साथ ही कृषि कर्ज की समीक्षा के लिये कार्यकारी समूह का गठन। मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में तथा दो ने यथास्थिति बनाये रखने को लेकर मत दिया। समिति के दो सदस्यों चेतन घाटे तथा विरल आचार्य यथास्थिति बनाये रखने के पक्ष में थे। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 2-4 अप्रैल को होगी।