नई दिल्ली।आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग लेकर दिल्ली में एक दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठे चंद्रबाबू नायडू के समर्थन और भाजपा तथा मोदी के खिलाफ विपक्ष फिर एक बार बखूबी एकजुट तो नजर आया लेकिन इस दौरान जो एक अहम बात फिर सामने आई वो शायद कांग्रेस के लिए बल्कि खासकर राहुल के लिए अच्छी नही है। दरअसल कांग्रेस के अलावा तमाम विपक्ष का मानना है कि प्रधनमंत्री पद को लेकर हमें कोई संशय नही है क्योंकि पूर्व में कई ऐसे मौके आये जब किसी नये और तमाम विपक्षी दलों की पसंद के व्यक्ति ने इस पद को सम्हाला है।
गौरतलब है कि आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग लेकर दिल्ली में एक दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठे चंद्रबाबू नायडू को समर्थन देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, फारुक अब्दुल्ला, शरद पवार, मुलायम सिंह और शरद यादव पहुंचे। इस धरने के दौरान फिर ये बात साफ नजर आई कि विपक्ष तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद भाजपा और मोदी से टक्कर लेने के लिए हर हाल में एक जुट होने को तैयार है। फिलहाल उनके लिए पीएम का चेहरा अहम मुद्दा नहीं है।
इतना ही नही बल्कि धरना स्थल से सरकार को बखूबी यह जवाब देने की कोशिश भी की गई कि नेतृत्व का सवाल विपक्ष के लिए ज्यादा मायने नहीं रखता क्योंकि इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब विपक्ष ने चुनाव बाद प्रधानमंत्री का उम्मीदवार तय किया है। शरद यादव ने चंद्रबाबू नायडू के मंच से कहा कि वीपी सिंह हों या एचडी देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल रहे हों या चंद्रशेखर, समय-समय पर प्रधानमंत्री पद के लिए सही व्यक्ति को सामने लाया जा चुका है और इस बार भी ऐसा ही होगा।
इसके साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रविवार को इसी तरह का संदेश दिया था। चुनाव बाद पीएम कौन बनेगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि परिस्थितियां इस तरह की बन रही हैं कि इस बार कोई गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है। यानी चुनाव के समय सभी दलों की कोशिश होगी कि वे ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करें जिससे चुनाव बाद के समीकरणों में अपने लिए बेहतर डील की जा सके।
ज्ञात हो कि पिछले काफी समय से भाजपा लगातार विपक्ष को महागठबंधन के ‘नेतृत्व’ या प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के मुद्दे पर लगातार घेर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गठबंधन को महामिलावट करार दे रहे हैं तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यह कहकर तंज कसते हैं कि अगर विपक्ष की सरकार बनी तो हर दिन एक नया प्रधानमंत्री बनेगा। लेकिन विपक्ष की ‘आवाज’ सुनने की कोशिश करें तो लगता है कि उसने इस समस्या का हल खोज लिया है।