Tuesday , April 23 2024
Breaking News

किडनी कारोबार की घिनौनी सच्चाई, फिर एक बार खौफनाक रूप में सामने आई

Share this

नई दिल्ली। मौजूदा दौर के होते तेजी से इस बदलाव में। हर चीज बिकने लगी है अब तो अच्दे भाव में।। ये बवो बेहद ही खौफनाक और अफसोसनाक सच्चाई है जो एक बार फिर हमारे सामने आई है। दरअसल उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक फैले मानव अंगों के कारोबार का जिस तरह से खुलासा हुआ है उसने एक बार फिर तमाम बेहद ही संगीन सवाल खड़े कर दिए हैं।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में किडनी और लिवर के काले कारोबर का बड़ा खुलासा करते हुए पुलिस ने सरगना समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों से पूछताछ में दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों के कोआर्डिनेटरों का नाम सामने आया है। पुलिस के मुताबिक आरोपित इन अस्पतालों से 25 से 30 लाख में किडनी और 70 से 80 लाख में लिवर का सौदा करते थे।

इस बाबत जानकारी देते हुए एसपी साउथ रवीना त्यागी ने रविवार देर शाम इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि रतनलाल नगर के राजेश की पत्नी सुनीता ने एक फरवरी को किडनी का सौदा करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद बर्रा और नौबस्ता पुलिस को अलर्ट किया गया। पहले से भी पुलिस को क्षेत्र में किडनी और लिवर बिकवाने वाले बिचौलिए के सक्रिय होने की सूचना मिली थी।

जिसके तहत पुलिस ने सबसे पहले यशोदानगर से पनकी गंगागंज निवासी बिचौलिए विक्की को पकड़ा। उसने एक रेस्टोरेंट में डोनर को सौदा करने के लिए बुलाया था। उसकी निशानदेही पर शहर से ही दूसरा साथी को भी पकड़ा। पूछताछ में विक्की ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट में दिल्ली के बड़े अस्पतालों से चलता है।

बताया जाता है कि काले कारोबार का मास्टरमाइंड कोलकाता का अरबपति टी राजकुमार है। इस गैंग में कई नामी-गिरामी डॉक्टर जुड़े हैं। एक पुलिस टीम कोलकाता भेजी गई। वहां से टी राजकुमार की गिरफ्तारी के बाद लखीमपुर मैगलगंज निवासी गौरव मिश्रा, नई दिल्ली के जैतपुर बदरपुर निवासी शैलेष सक्सेना, लखनऊ ककवरी निवासी सबूर अहमद, विक्टोरिया स्टेट निवासी शमशाद को गिरफ्तार किया।

साथ ही एसपी साउथ ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि दिल्ली के पीएसआरआई की कॉर्डिनेटर सुनीता व मिथुन और फोर्टिस की कॉर्डिनेटर सोनिका डील तय होने के बाद डोनर के फर्जी दस्तावेज तैयार कराती थीं। डोनर का फर्जी आधार कार्ड बनवाया जाता था। रिसीवर का रिश्ते-नातेदार बनाकर डोनर की किडनी ट्रांसप्लांट की जाती थी।

एसपी के मुताबिक किडनी 25 से 30 लाख और लिवर का सौदा 70 से 80 लाख रुपए में विभिन्न अस्पतालों को बेच देते थे। किडनी और लिवर डोनर को 4 से 5 लाख रुपए ही देते थे। बाकी पैसा आपस में बांट लेते थे। गिरोह के सदस्य डोनर को पहले फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के आधार पर रिसीवर के परिवार का सदस्य बनाते थे। इसके बाद संबंधित अस्पतालों में डोनर का मेडिकल होता था।

यहां डीएनए मिलाने के लिए डोनर की जांच रिपोर्ट बदल दी जाती थी। डोनर की जगह रिसीवर के परिजन की रिपोर्ट कमेटी के पास जाती थी। इससे आसानी से किडनी ट्रांसप्लांट का अनुमोदन हो जाता था। एसपी साउथ के मुताबिक गिरफ्तार लोगों के पास से भारी संख्या में बैंकों की खाली पासबुक, वोटर आईडी, शपथ पत्र, अफसरों की मुहरें, आधार कार्ड बरामद किए गए हैं।

वहीं इस मामले में जहां फोर्टिस अस्पताल के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन प्रमुख अजय महाराज ने कहा कि हमारे अस्पताल पर लगे आरोप निराधार हैं।  जबकि पीएसआरआई अस्पताल कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के वरिष्ठ अधिकारी वरदान ने कहा कि मुझे फिलहाल इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी ही इस पर कुछ कह पाएंगे।

Share this
Translate »