मुंबई! भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल भारत की एक सार्वजनिक क्षेत्र की संचार कंपनी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसएनएल के कर्मचारियों पर हर माह 1200 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. यह कंपनी की कुल आमदनी का 55 फीसदी हिस्सा होता है.
11.4 करोड़ यूजर होने के बावजूद भी कंपनी अपने कर्मचारियों को फरवरी माह की सैलेरी नहीं दे पाई है. उसने यह भुगतान मार्च में किया. यह स्थिति तब है जब जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी प्राइवेट कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं. कभी सबसे प्रतिष्ठित टेलिकॉम कंपनी मानी जाने वाली बीएसएनल का देश में मार्केट शेयर 9.7 फीसदी है. बता दें कि टेलिकॉम इतिहास में यह पहली बार है जब बीएसएनएल के कर्मचारियों की सैलरी अटक गई है. अब तक कर्मचारियों को हर महीने के आखिरी या अगले महीने के पहले वर्किंग डे तक सैलरी मिल जाती थी.
इन 4 कारणों से बर्बाद हो रही है BSNL
. कंपनी ने 4जी स्पेक्ट्रम नहीं लिया- वर्ष 2017 में बीएसएनएल ने 4जी स्पेस्ट्रम की नीलामी में हिस्सा ही नहीं लिया. उस समय सरकार ने कहा था कि उसे भी दूसरी निजी कंपनियों के दाम पर ही स्पेक्ट्रम दिए जाएंगे. बीएसएनएल को उस समय ये दाम ज्यादा लगे. बीएसएनएल आज भी 4जी रफ्तार नहीं दे पा रहा है.
. डेटा स्पीड, वॉइस क्वालिटी में गुणवत्ता में कमी- डेटा स्पीड, वॉइस क्वालिटी और नेटवर्क में कंपनी गुणवत्ता नहीं दे पा रही है. अपने नेटवर्क सुधारने के लिए उसने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन्स सेे इजाजत ली है कि बैंक से 3500 करोड़ का लोन ले सके. ये लोन उसे मिला नहीं है. विशेषज्ञ कहते हैं इस राशि में सुधार नहीं हो पाएगा.
. जमीन भी नहीं बेच पा रहा है- कंपनी की देशभर में काफी जमीन है. वो इसे बेचकर कुछ पैसा जुटाना चाहती है. उसने प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के विनिवेश विभाग को भेजा है. हालांकि इस पर विभाग ने विचार नहीं किया है. नियमों के अनुसार बीएसएनएल अपनी जमीन प्राइवेट सेक्टर को किराए पर भी नहीं दे सकती.
. सैलेरी में खर्च होता है राजस्व का 55 से 60% हिस्सा- कंपनी राजस्व का 55-60% हिस्सा सैलेरी में खर्च करती है. फरवरी में वो 850 करोड़ रु सैलेरी नहीं बांट पाई. इसे मार्च में दिया गया. कंपनी ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन्स को 6,535 करोड़ रु का वीआरएस प्रस्ताव भी दिया है ताकि कर्मचारियों की संख्या 1.76 लाख को कम किया जा सके.
देश की अन्य कंपनियों की स्थिति
कंपनी कर्मचारी ग्राहक राजस्व
बीएसएनल 1.76 लाख 11.4 करोड़ 1925 करोड़
वोडाफोन-आईडिया 27 हजार 41.8 करोड़ 7528 करोड़
एअरटेल 17 हजार 34 करोड़ 6723 करोड़
रिलायंस जियो 15 हजार 28 करोड़ 8272 करोड़