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मायावती ने SC में कहा- लोगों की इच्छा थी कि यूपी में उनकी मूर्तियां लगें

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नई दिल्ली! बहुजन समाज पार्टी ( BSP ) की अध्यक्ष मायावती ने अपने कार्यकाल के दौरान मूर्तियों पर हुए खर्च को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. अपने हलफनामे में मायावती ने कहा है कि हाथियों के अलावा उनके स्टैचू को लगाने से पहले प्रक्रिया का पालन किया गया था और लोगों की इच्छा थी कि उनकी मूर्तियां लगनी चाहिए.

यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने अपना हलफनामा दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट को दिए जवाब में कहा, ‘यह लोगों की इच्छा थी.’ माया ने मूर्तियों पर खर्च की गई सरकारी रकम को न्यायोचित ठहराते हुए हलफनामे में कहा है कि विधानसभा में चर्चा के बाद मूर्तियां लगाई गईं और इसके लिए बाकायदा सदन से बजट भी पास कराया गया था. मायावती ने अपने हलफनामे में कहा है कि उनकी मूर्तियां लगाना जनभावना थी. साथ ही यह बीएसपी के संस्थापक कांशीराम की भी इच्छा थी. माया ने अपने जवाब में कहा कि दलित आंदोलन में उनके योगदान के चलते मूर्तियां लगवाई गईं. ऐसे में पैसे लौटाने का सवाल ही नहीं उठता है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान पूछा था कि क्या मूर्तियों पर हुए खर्च को मायावती से वसूला जाना चाहिए. 8 फरवरी को केस की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि कोर्ट का विचार है कि मायावती को मूर्तियों पर हुए खर्च को अपने पास से सरकारी खजाने में अदा करना चाहिए. मायावती की तरफ से सतीश चंद्र मिश्रा केस की पैरवी कर रहे हैं. इस मामले में याचिकाकर्ता रविकांत ने मायावती और हाथी की मूर्तियों के निर्माण पर हुए खर्च को बीएसपी से वसूलने की मांग की थी. यह जनहित याचिका वर्ष 2009 में दाखिल की गई थी. 

रविकांत ने 2009 में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता. पीठ ने कहा कि इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई में वक्त लगेगा, इसलिए इसे अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पर्यावरण को लेकर व्यक्त की गई चिंता को देखते हुए इस मामले में अनेक अंतरिम आदेश और निर्देश दिए थे. निर्वाचन आयोग को भी निर्देश दिए गए थे कि चुनाव के दौरान इन हाथियों को ढका जाए. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मायावती, जो उस समय प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं का महिमामंडन करने के इरादे से इन मूर्तियों के निर्माण पर 2008-09 के दौरान सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि वो पहली नजर में उसका विचार है कि बसपा सुप्रीमो मायावती को प्रतिमाओं पर लगाया जनता का पैसा लौटाना चाहिए. लखनऊ और नोएडा में मायावती और उनकी पार्टी के चिह्न हाथी की प्रतिमाएं बनवाई गई थीं. एक वकील ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिका में मांग की गई कि नेताओं द्वारा अपनी और पार्टी के चिह्न की प्रतिमाएं बनाने पर जनता का पैसा खर्च न करने के निर्देश दिए जाएं.

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