प्रयागराज! यूपी बोर्ड 2019 के 165 स्कूलों का परिणाम शून्य है. इनमें से 96 स्कूलों के 10वीं के सभी छात्र फेल हैं जबकि 69 स्कूल ऐसे हैं जिनका 12वीं का रिजल्ट जीरो है. 2018 की तुलना में शून्य रिजल्ट देने वाले स्कूलों की संख्या में वृद्धि हुई है. पिछले साल 150 स्कूलों का परिणाम शून्य था. हालांकि 2017 में 183 स्कूल ऐसे थे जिनका एक भी छात्र पास नहीं हो सका था. इन आंकड़ों से सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों की बदहाली भी सामने आई है. 165 स्कूलों में से कई राजकीय और एडेड स्कूल हैं. दु:खद पक्ष यह है कि कई स्कूलों में बच्चों की संख्या 10 से भी अधिक नहीं है. ऐसे में साफ है कि इन स्कूलों के प्रति आम लोगों में रुझान नहीं है.
इस बार 10वीं में राजकीय व एडेड स्कूलों के छात्र-छात्राओं का पास प्रतिशत क्रमश: 78.16 व 76.20 रहा जबकि प्राइवेट स्कूलों के 82.05 फीसदी बच्चे पास हुए. इंटर में राजकीय व एडेड के क्रमश: 78.45 व 71.72 जबकि प्राइवेट स्कूलों के 68.77 प्रतिशत छात्र-छात्राएं सफल हुए. इस वर्ष 10वीं के 139 और 12वीं के 249 स्कूल ऐसे हैं जिनका परिणाम 20 प्रतिशत से कम रहा. बोर्ड मुख्यालय में ही कई स्कूलों का परिणाम धड़ाम जिस जिले में यूपी बोर्ड का मुख्यालय है उसके स्कूलों का परिणाम ही बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है.
हाईस्कूल में सात स्कूल ऐसे हैं जिनका एक भी छात्र पास नहीं हुआ. न्यू ब्राइट गर्ल्स इंटर कॉलेज करेली, एचएलपी हायर सेकेंडरी स्कूल मवैया, एसएस निकेतन हायर सेकेंडरी नैनी, लिटिल हार्ट्स हायर सेकेंडरी नैनी, जीपीवाईएस हाईस्कूल, जेडी मेमोरियर पब्लिक स्कूल नासिरपुर अंदावा झूंसी, आरजीएस कॉलेज हेतापट्टी झूंसी का परिणाम शून्य है. इंटर में तीन स्कूलों का परिणाम शून्य है.
शारदा इंटर कॉलेज नौडिहा तरहार, बीएनडी मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज उग्रसेनपुर, बीआर सिंह बालिका इंटर कॉलेज नैनी का रिजल्ट जीरो है. कम नहीं जीरो रिजल्ट वाले स्कूलों की संख्या जीरो रिजल्ट देने वाले स्कूलों की संख्या कम नहीं है. 2017 में 183 जबकि 2016 में 50 स्कूल ऐसे थे जिनका परिणाम शून्य था. 2015 में 11 स्कूल का एक भी बच्चा पास नहीं हो सका था.