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हिन्दी को लेकर जारी है घमासान, अब रजनी कांत ने दिया अहम बयान

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नई दिल्ली। देश में साझी भाषा के तौर पर हिन्दी की वकालत किये जाने के गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर फिलहाल तीखी प्रतिक्रियाओं का आना लगातार जारी है। हाल ही में जहां दक्षिण के राज्यों में खासकर इसका खासा विरोध सामने आया जिसके तहत फिल्म स्टार कमल हासन तो पहले ही इस पर अपना विरोध जता चुके हैं वहीं अब सुपर स्टार रजनी कांत ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

गौरतलब है कि अब रजनीकांत ने भी कहा है कि हिंदी को थोपा नहीं जाना चाहिए। रजनीकांत ने कहा, ‘हिंदी को थोपा नहीं जाना चाहिए। न केवल तमिलनाडु बल्कि कोई भी दक्षिण राज्य हिंदी थोपे जाने को स्वीकार नहीं करेगा। केवल हिंदी ही नहीं किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाना चाहिए। यदि एक आम भाषा होती है तो यह देश की एकता और प्रगति के लिए अच्छा होगा लेकिन किसी भाषा के जबरन थोपे जाने को स्वीकार नहीं किया जाएगा।’ 

इतना ही नही बल्कि उन्होंने साफ तौर पर यह भी कहा कि, ‘विशेष रूप से, यदि आप हिंदी थोपते हैं, तो तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि कोई भी दक्षिणी राज्य इसे स्वीकार नहीं करेगा। उत्तर भारत में भी कई राज्य यह स्वीकार नहीं करेंगे।’ जबकि वहीं 16 सितंबर को कमल हासन ने एक वीडियो अपलोड कर कहा था कि एक और भाषा आंदोलन होगा, जो तमिलनाडु में जल्लीकट्टू विरोध प्रदर्शनों की तुलना में बहुत बड़ा होगा।

दरअसल जारी इस वीडियो में कमल हासन अशोक स्तंभ और संविधान की प्रस्तावना के बगल में खड़े दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने 1950 में लोगों से एक वादा करने के साथ गणतंत्र बन गया कि उनकी भाषा और संस्कृति की रक्षा की जाएगी। कोई भी शाह, सुल्तान या सम्राट अचानक उस वादे को नहीं तोड़ सकते।

ज्ञात हो कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को देश की साझी भाषा के तौर पर हिंदी को अपनाने की वकालत की थी, जिसके बाद इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई थी। दक्षिण के विभिन्न राजनीतिक दलों ने कहा कि वे भाषा को ‘थोपने’ के किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे।

जिस पर कांग्रेस ने भी कहा कि संविधान ने जिन ‘संवेदनशील’ मुद्दों का समाधान कर दिया था, उनको लेकर नए सिरे से विवाद नहीं पैदा किया जाना चाहिए। शाह ने कहा था कि भाषा की विविधता भारत की ताकत है लेकिन एक राष्ट्रीय भाषा की जरूरत है ताकि विदेशी भाषाएं और संस्कृतियां देश की भाषा और संस्कृति पर हावी नहीं हों।

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