नई दिल्ली. भारतीय थलसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से सुदर्शन शक्ति युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है. गुरुवार से शुरू हुआ ये सुदर्शन शक्ति का दूसरा युद्धाभ्यास है जो 4 दिसंबर तक चलेगा. सुदर्शन शक्ति का पहला युद्धाभ्यास इसी साल 1 जुलाई से शुरू किया गया था. इसका दूसरा युद्धाभ्यास राजस्थान के जैसलमेर में चल रहा है, जो पाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित है. सुदर्शन शक्ति युद्धाभ्यास का किसी भी आपातकाल में तुरंत कार्रवाई करने के उद्देश्य चलाया जा रहा है. भारतीय सैन्य ताकतों के इस अभ्यास की वजह से ही पोखरण रेंज और बाड़मेर का रेगिस्तानी क्षेत्र रेत के गुबार में तब्दील हो गया है.
इस युद्धाभ्यास में सेना के 40000 जवान, 450 तोप सहित मेड इन इंडिया K-9 वज्र गन शामिल हैं, जो अपनी कॉम्बोट स्किल्स, डीप स्ट्राईक क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें कि यहां K-9 वज्र गन का पहली बार प्रदर्शन किया जा रहा है. K-9 वज्र गन को अभी हाल ही में भारतीय सेना में शामिल किया गया है. फिलहाल सेना के पास मौजूद सबसे लंबी दूरी पर मार करने वाली गन K-9 वज्र ही है. थलसेना और वायुसेना के इस युद्धाभ्यास के रिव्यू के लिए यहां सेना के कई बड़े अफसर पहुंच रहे हैं.
सुदर्शन शक्ति युद्धाभ्यास पार्ट-2 के आखिर में हमारे जवान जैसलमेर की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेगी, जहां देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, थलसेना अध्यक्ष और वायुसेना के उच्चाधिकारी हिस्सा लेंगे. युद्धाभ्यास के आखिर में एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर रूद्र भी दुश्मनों को अपना रौद्र रूप दिखाएगा. सुदर्शन शक्ति के दूसरे युद्धाभ्यास की खास बात ये है कि इसमें भारतीय सैन्य जवान पूर्ण रूप से यंत्रीकृत संरचनाओं के साथ अभ्यास कर रहे हैं.
सुदर्शन शक्ति युद्धाभ्यास पार्ट-2 खत्म होने के बाद इसके नतीजों की समीक्षा की जाएगी, जो खुद सेना के उच्चाधिकारी ही करेंगे. युद्धाभ्यास की समीक्षा करने के बाद सेना इसकी रिपोर्ट तैयार करेगी जो गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी. बता दें कि गृह मंत्रालय यहां जारी युद्धाभ्यास की समीक्षा करने के बाद भारतीय सेना को उनकी जरूरतों के लिहाज से जरूरी उपकरण, सैन्य सामग्री और हथियार उपलब्ध कराएगा. दुश्मनों को मार गिराकर तुरंत अपनी जगह पर वापस लौटना ही इस युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य है.