नई दिल्ली. अर्थव्यवस्था में सुस्ती, लगातार जीडीपी के घटते अनुमान के साथ-साथ बेरोजगार युवाओं के बढ़ते आंकड़ों ने सरकार को परेशान कर रखा है. इन मुद्दों को लेकर विपक्ष भी हमलावर बना हुआ है. सरकार भी इन समस्याओं से निपटने के लिए कदम उठा रही है, लेकिन फिलहाल इसका असर होता नहीं दिख रहा है. ताजा ममला बेरोजगारी से जुड़ा. देश में बेरोजगारी की मार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि तमिलनाडु के कोयंबटूर नगर निगम में सफाई कर्मचारी के 549 पदों के लिए 7,000 इंजीनियरों, ग्रेजुएट और डिप्लोमा धारकों ने आवेदन किया है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार निगम ने 549 ग्रेड -1 सफाई कर्मियों के पदों के लिए आवेदन मांगे थे जिसके लिए 7,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किए हैं.
नगर निगम के अधिकारी के मुताबिक तीन दिनों के इंटरव्यू में 70 फीसदी ऐसे युवा सामने आये हैं, जो SSLC परीक्षा पास हैं. SSLC इस पोस्ट के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता है लेकिन बाकी सभी आवेदक इंजीनियर, पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट हैं. हालांकि कुछ मामलों में यह भी पाया गया है कि आवेदक पहले किसी निजी कंपनी में काम कर रहे थे, लेकिन सरकारी नौकरी की चाह में सफाई कर्मी के पद के लिए आवेदन किया है.
कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं जो पिछले 10 वर्षों से अनुबंधित सफाई कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं. इन लोगों को स्थायी नौकरी चाहिए थी, इसलिए इन्होंने आवेदन किया. कई ग्रेजुएट ने इसलिए आवदेन किए हैं क्योंकि उन्हें अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिली और प्राईवेट कंपनियों में केवल 6,000-7,000 रुपये वेतन मिलता है, जिसके साथ परिवार चलाना काफी मुश्किल है.
इसके साथ-साथ निजी कंपनियों में 12 घंटे की शिफ्ट होती है, और उसमें भी जॉब सिक्योरिटी नहीं है. दूसरी ओर सफाई कर्मचारी की नौकरी में सुबह के तीन घंटे और शाम के तीन घंटे के काम करना होता है, इसके साथ लगभग 20,000 रुपये का वेतन भी मिल जाता है. इसके साथ बीच की छुट्टी में अन्य छोटे काम करने का विकल्प भी है. निगम के पास इस समय 2,000 स्थायी और 500 संविदा सफाई कर्मचारी हैं.
वहीं इस पूरे मामले पर डीएमके प्रेसिडेंट एमके स्टालिन ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को घेरा है. स्टालिन ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर इस पर काम करने की जरूरत है. रिपोर्ट के मुताबिक 40 हजार आई टी एम्पलॉइज अपनी नौकरियां खो सकते हैं.