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चैत्र नवरात्रि: घटस्थापना का मुहूर्त, 25 मार्च को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से प्रारम्भ

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चैत्र माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर रामनवमी तक चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है और इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है। नवरात्रि में पूजा के साथ ही पूरे नौ दिनों तक व्रत भी रखा जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि में पूरे विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी समस्याओं को मां हर लेती है और मनोवांछित फल प्रदान करती है। 

इस बार चैत्र नवरात्रि 25 मार्च, बुधवार से आरंभ हो रही है जो 2 अप्रैल, गुरुवार तक मनाई जाएगी। नवरात्रि में घर में माता को स्थापित कर नौ दिनों तक उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। माता की स्थापना को कुछ लोग कलश स्थापना तो कुछ घटस्थापना कहते हैं। 

पता होना चाहिए कि शुभ मुहूर्त में ही घटस्थापना की जाती है ताकि नौ दिनों की पूजा का शुभ फल मिल सके। साथ ही प्रथम दिन की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।  माना जाता है कि घट स्थापना करने से घर में सकारात्मकता का वास होता है। घटस्थापना के बाद नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाई जाती है और विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। घटस्थापना के बाद ही व्रत की प्रतिज्ञा लेकर व्रत भी रखे जाते हैं। 

तो आइये यहां जानते हैं घटस्थापना का मुहूर्त 

प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 24 मार्च मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से शुरू हो जायेगा। घटस्थापना का मुहूर्त, 25 मार्च को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक है। मीन लग्न सुबह 6 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।

चैत्र नवरात्रि का महत्व 

वैसे तो वर्ष में चार नवरात्रि होती है जिसमें से दो गुप्त होती है और दो में विशेष पूजा हर कोई करता है। शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि दोनों ही विशेष फलदायी होती है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के दिन ही माँ दुर्गा का जन्म हुआ था और उनके कहने पर ही ब्रह्मा ने पृथ्वी का निर्माण किया था। वहीं यहा भी माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही सूर्य की पहली किरण पृथ्वी पर पड़ी थी इसलिए इसी दिन हिन्दुओं का नव वर्ष भी मनाया जाता है। 

नवरात्रि के नौ दिन नौ देवियों की पूजा की जाती है। 

– पहले दिन की देवी शैलपुत्री है

– दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी 

– तीसरी चंद्रघंटा

– चौथी कूष्मांडा 

– पांचवी स्कंदमाता 

– छठी कात्यायिनी 

-सातवीं कालरात्रि 

– आठवीं महागौरी 

– नौवीं सिद्धिदात्री।

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