नई दिल्ली। बहुचर्चित आरुषि-हेमराज डबल मर्डर केस में तलवार दंपत्ति को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले सीबीआई जज श्यामलाल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी में जज श्यामलाल ने आरुषि मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में अपने खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाने की मांग की है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने सीबीआई के फैसले को विरोधाभास से भरा बताते हुए तलवार दंपत्ति को बरी किया था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने तलवार दम्पति को बरी करते हुए जज की कानूनी समझ पर भी सवाल उठाया था।
हाईकोर्ट का कहना था कि इस मामले में जज ने गणित टीचर और फिल्म निर्देशक जैसा व्यवहार किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि मानो जज को कानून की सही तरीके से जानकारी तक नहीं थी, इसलिए उन्होंने कई सारे ऐसे तथ्यों को खुद ही मानकर फैसला दे दिया, जो थे ही नहीं।
साथ ही कोर्ट ने जज पर ये भी टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि ट्रायल जज अपनी कानूनी जिम्मेदारियों से अनजान हैं। आरुषि-हेमराज हत्याकांड में फैसले के समय इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से कहा गया था कि मौजूदा सबूतों और गवाहों के आधार पर तलवार दंपति को उनकी हत्या का दोषी नहीं माना जा सकता।
जज ए.के मिश्रा ने कहना था कि CBI की जांच में कई खामियां हैं और आरुषि को उसके माता-पिता ने नहीं मारा है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी इतनी कठोर सजा नहीं देता है।