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उलेमाओं का फतवा और अपील- कतई न करें ऐसा काम, किसी भी तरह से दूसरों को नुकसान पहुंचाना है हराम

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नई दिल्ली। कोरोना को लेकर मुसलमानों में फैले भ्रम को कम करने के लिए अब तमाम उलेमाओं ने आगे आकर अपने अपने स्तर पर अपील और फतवे के जरिये जागरूकता फैलाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। लखनऊ की मस्जिदों से तबलीगी जमात में रुके विदेशी मिलने के बाद लखनऊ के उलमा ने मस्जिदों के इमामों व लोगों से अपील की है। जो भी तबलीगी जमात से लौटा हो वह खुद से सामने आकर अपनी जांच कराएं। साथ ही किसी भी मस्जिद में जमात रुकी हो तो वह बिना डरे इसकी सूचना प्रशासन को दें।

जिसके तहत जहां दारुल उलूम फरंगी महल ने गुरुवार को फतवा जारी कर कहा कि कोरोना के लक्षण दिखने पर जांच जरूर कराएं। बीमारी छिपाकर दूसरों को नुकसान पहुंचाना हराम है। मुस्लिम धर्मगुरू मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि इस्लाम की हिदायत है कि खुद भी हिलाकत से बचो और दूसरों को भी बचाओ। अगर कोई कोरोना वायरस से प्रभावित है तो उसे इलाज कराना जरूरी है। ऐसा न करने पर वह खुद तबाह होने के साथ ही दूसरों की जान को भी खतरे में डालेगा।

हदीस पाक में है कि खुद नुकसान उठाना और दूसरों को नुकसान पहुंचाना जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी को भी जान-माल का नुकसान पहुंचाना हराम है। ये एक तरह से धोखा देने के बराबर है और इस्लाम मे धोखा देना हराम है। मौलाना ने कहा कि कोरोना को छुपाना संगीन जुर्म है। इसका इलाज कराना शरई फ़रीजा है। खुद की या किसी दूसरे की जान को हलाकत में डालना हराम है। फतवे में कहा गया है कि कुरान में जिक्र है कि अगर किसी ने एक इंसान की जान बचाई तो समझो तमाम इंसानों की जान बचाई। सरकार की तरफ से जो निर्देश दिए गए हैं और डॉक्टरों ने जो उपाय बताए है उन्हें मानना जरूरी है।

शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि जमाती दूसरों के लिए खतरा न बनें। एक जमात में काफी लोग मिलकर रहते हैं। लिहाजा उनमें संक्रमण का खतरा अधिक है। इसलिए वह बेखौफ होकर प्रशासन को अपनी जानकारी दें और जांच कराएं। वह दूसरों के लिए बिल्कुल खतरा न बनें। साथ यदि कहीं जमात रूकी हुई तो भी वह अपनी जानकारी प्रशासन को दें। 

तबलीगी जमाती करीब 40 दिन तक 8 से 10 लोगों का गुट बनाकर एक ही मस्जिद में रहते हैं। इनमें देश बाहर से भी बड़ी संख्या में जमाती आते हैं। मस्जिदों में रूक कर यह दिन में इलाके में लोगों को दीनी शिक्षा से रूबरू कराते हैं जबकि रात में एक साथ ही मस्जिद में रहते हैं।

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