नई दिल्ली। हाल ही में एक शहीद की पत्नी के इलाज में एक अस्पताल ने आधार कार्ड न होने पर कोताही बरती थी जिस पर काफी बवाल और सवाल उठा था। बावजूद इसके भी उस्पतालों के लिए आज भी मरीज की जिन्दगी से ज्यादा आधार कार्ड अहमियत रख रहा है जिसका ताजा मामला गुड़गांव के सिविल हॉस्पिटल देखने में आया है जहां आधार कार्ड न होने पर एक गर्भवती महिला को गुड़गांव के हॉस्पिटल की पार्किंग में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।
गौरतलब है कि उक्त महिला आधार न होने की वजह से दर्द से बिलखती 2 घंटे तक हॉस्पिटल के चक्कर काटती रही लेकिन वहां मौजूद किसी भी अस्पताल कर्मी को उसकी तकलीफ नहीं दिखी। इसके बाद महिला परेशान होकर गेट पर पहुंची। जहां गर्भवती महिला की दशा को देखते वहां पार्किंग में बैठी कुछ महिलाओं ने तुरंत शॉल की ‘दीवार’ बनाई और कुछ ही मिनटों में महिला ने बच्ची को जन्म दिया।
जानकारी के मुताबिक, मध्यप्रदेश निवासी बबलू अपनी पत्नी के साथ गुड़गांव की शीतला कॉलोनी के ई-ब्लॉक में रहते हैं। शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे जब उनकी गर्भवती पत्नी मुन्नी (27) की तबियत खराब हुई तो उन्होंने सरकारी एम्बुलेंस बुलाने के लिए टोल फ्री नंबर पर कॉल किया।
इसके बाद करीब 9:30 बजे एम्बुलेंस उनके घर पहुंची और महिला को 10 बजे तक महिला को हॉस्पिटल पहुंचाया गया। पीड़िता के पति बबलू ने बताया कि हॉस्पिटल पहुंचकर OPD रजिस्ट्रेशन पर उनसे आधार कार्ड नहीं मांगा गया। फिर गायनी वॉर्ड में तैनात डॉक्टर ने उनकी रिपोर्ट को पढ़कर पानी पीने के बाद अल्ट्रसाउंड कराने को कहा।
इसके बाद दंपती अस्पताल की अल्ट्रसाउंड लैब में पहुंचे तो वहां तैनात एक कर्मचारी ने उनसे आधार कार्ड मांगा। बबलू ने उन्हें आधार कार्ड नंबर बता दिया लेकिन कर्मचारी ने ओरिजनल या फोटो कॉपी देने को कहा।
बबलू ने साइबर कैफे जा प्रिंट लेने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हुए। इसके बाद वो दोबारा बिना आधार कार्ड अल्ट्रसाउंड लैब पहुंचे, लेकिन कर्मचारी और अस्पताल प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी।
पीड़ित ने बाहर खड़े पुलिसकर्मियों से आपबीती सुनाकर मदद की गुहार लगाई लेकिन किसी किसी को महिला की पीड़ा नहीं दिखी। दंपति परेशान हो जब वो इमरजेंसी गेट से बाहर निकले तो महिला दर्द के कारण जमीन पर बैठ गई। यहीं गेट पर महिला ने बच्ची को जन्म दिया। इसके बाद अस्पताल प्रशासन की आंखे खुली और वो पीड़िता को अंदर ले गए।
मामले के तूल पकड़ने के बाद इस पर कार्रवाई की गई। डॉ. प्रदीप शर्मा ने बताया कि काम में कोताही बरतने पर दो महिला कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर दिया गया है। जांच में दोनों कर्मचारियों की गलती पाई गई है। उन्होंने कहा कि इनके अलावा भी जांच में जो दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं हरियाणा के स्वास्थ्य व खेल मंत्री अनिल विज ने इस मामले पर कहा है कि आधार कार्ड न होने के कारण किसी भी मरीज का इलाज नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। जिसके चलते सरकारी अस्पतालों में 385 डॉक्टरों की नियुक्ति के लेटर जारी किए गए हैं।